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TRI Jharkhand: आदिवासी महिलाओं के अधिकार पर पैनल चर्चा, इतिहासकार ने कही ये बातें..

Tribal Research Institute and Museum: आदिवासी समुदाय में महिलाओं की सामाजिक स्थिति पर टीआरआई में आयोजित आदिवासी इतिहास सेमिनार में डॉ. अंजना सिंह ने उनके अधिकारों की महत्वपूर्ण बातें उजागर की. उन्होंने इसका उल्लेख करते हुए कहा कि महिलाएं पुरुषों की तरह काम करती हैं और उनके पास आजादी होती है अधिकारों के मामले में.

आदिवासी महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा: इतिहासकारों के विचार टीआरआई सेमिनार में

TRI Museum, Ranchi: आदिवासी समुदाय में महिलाओं को अन्य समुदायों की अपेक्षा अधिक अधिकार मिले हैं। वे पुरुषों की ही तरह घर से बाहर काम करने जाती हैं, यहां तक कि शराब का सेवन और सामुदायिक स्थानों पर नाचने-गाने के लिए भी आदिवासी महिलाएं स्वतंत्र हैं। इसके बावजूद उनके पति द्वारा शारीरिक हिंसा की जाती है। उन्हें पिता की संपत्ति पर भी कोई अधिकार नहीं मिलता। ये बातें इतिहासकार डॉ. अंजना सिंह ने मंगलवार को टीआरआई में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी इतिहास सेमिनार में कही। वे हिस्टोरिकलट्रांजेक्ट्रीज ऑफ द प्रेजेंट: द जेंडरडायमेंशनविषय पर आयोजित पैनल चर्चा में शामिल हुईं थी।

वहीं, डॉ. तोशीमनला जमीर ने कहा कि पूर्वोत्तर के राज्यों में महिलाओं को संपत्ति का अधिकार है। लेकिन, मुख्य तौर पर जमीन के केस में भी उन महिलाओं के पति को ही उसका फायदा मिलता है। महिलाएं अपने अधिकार के बावजूद उसको बेच नहीं सकती या उससे संबंधित अन्य निर्णय नहीं ले सकतीं।  पैनल में उपस्थित रोसीनानसीर ने कहा कि, डायन होने का आरोप आदमियों पर भी लगता है, लेकिन उनकी कभी हत्या नहीं होती। हत्या की जद में केवल महिलाएं ही आती हैं। अक्सर आर्थिक, सामाजिक कारणों से महिलाओं को टारगेट किया जाता है और डायन के नाम पर उनकी हत्या कर दी जाती है। इस पैनल चर्चा की अध्यक्षता प्रो. महालक्ष्मीरामकृष्णन ने किया।

गौरतलब है कि, दूसरे सत्र में डॉ. रोकेशबटबयाल, डॉ. रुचिकातासकीनकेरकेट्टा, डॉ. सुष्मितामुखर्जी, डॉ कल्याण सोनोवाल, डॉ विजय प्रताप. ने शोध प्रक्रिया की समस्याओं पर अपनी वक्तव्य दिया। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. स्मितालिंडा और प्रो. राकेश बटबयाल ने की। तीसरे सत्र में डॉ. रोमाचटर्जी, डॉ. स्नेहारॉय चौधरी, प्रो. राकेश बटबयाल ने
हिस्टोरिकलट्रैजेस्क्ट्रीज इन पर्फोर्मेटिवट्रैडिशन्सविषय पर अपना वक्तव्य दिया। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. सुष्मिता दास गुप्ता ने की। अंतिम सत्र में डॉ अटा मल्लिक, डॉ. राहुल सिंह, डॉ. संजय सिन्हा ने इश्यूज ऑफ हिस्ट्री ऑफ रीजन-II’ विषय पर अपना वक्तव्य दिया। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. तोशीमनला जमीर ने की।


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