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International Yoga Day 2023: योगदा सत्संग रांची ने नवागतों को योग-ध्यान के मूल सिद्धान्तों से परिचित कराया

Yogoda Satsanga Ranchi: योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया के रांची आश्रम ने नौवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में 550 से भी अधिक लोगों ने भाग लिया है, जिनमें से कई लोग पहली बार इस आश्रम में आए थे। इस कार्यक्रम के दौरान उन्हें योग-ध्यान के मूल सिद्धांतों के बारे में जानकारी दी गई। यह कार्यक्रम श्री श्री परमहंस योगानंद वाईएसएस के संस्थापक और प्रसिद्ध पुस्तक 'योगी कथामृत' के लेखक के परिचय के साथ आरंभ हुआ। इसके बाद स्वामी ईश्वरानन्द गिरि ने “योग-ध्यान के माध्यम से आन्तरिकप्रशान्ति को खोज करना” विषय पर बोलते हुए सत्यान्वेषियों को आन्तरिक प्रशान्ति को खोज करने के लिए प्रोत्साहित किया

रविवार को प्रातःकाल इस शांत आश्रम में श्री श्री परमहंस योगानंदजी के जीवन वृत्तांत के साथ योग क महत्व के बारे में बताया गया। स्वामी ईश्वरानंदजी ने इस अवसर पर योग के महत्वपूर्ण आयामों पर विचार किये हैं, जिनमें शरीर, मन, और आत्मा की सम्पूर्ण संयम शामिल है। इसके अलावा योग के द्वारा स्वयं को शांत, प्रशांत, और संतुलित बनाने के लिए कई तकनीकों के बारे में भी बात की गई।

बता दें कि,
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य योग के विभिन्न पहलुओं पर जागरूकता फैलाना और लोगों को योग के लाभों के प्रति जागरूक करना है। इन कार्यक्रमों में योगासन, प्राणायाम, ध्यान, और मन की शांति के लिए विभिन्न तकनीकों का प्रदर्शन किया गया है। योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाईएसएस) ने योग दिवस को महापर्व बनाने का उद्देश्य रखा है और इसके लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया है। यह कार्यक्रम लोगों को योग के महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर जागरूक करता है और उन्हें योग को अपने दैनिक जीवन में शामिल करने के लिए प्रेरित करता है।
योग दिवस के अवसर पर योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाईएसएस) के द्वारा आयोजित किए गए कार्यक्रमों ने योग के महत्व को प्रमोट किया है। योग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के साथ-साथ, योग संबंधित विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया है। इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य योग की जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए लोगों को प्रेरित करना है। योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाईएसएस) की योगदा विद्यालय के प्रमुख ने इन कार्यक्रमों की सफलता पर गर्व किया और लोगों को योग की आवश्यकता के प्रति जागरूक करने का आह्वान किया।

गौरतलब है कि, श्री श्री परमहंस योगानन्दजी मानवीय परिस्थितियों और मानवजाति के सामने आने वाली चुनौतियों की गहरी समझ रखते थे और उनके हृदय में पीड़ित मानवजाति के प्रति गहरी सहानुभूति थी। अधिकांश लोग सोचते हैं कि योग हठयोग तक ही सीमित है। परन्तु, योग का वास्तविक अर्थ है आत्मा और परमात्मा का मिलन। योगानन्दजी द्वारा सिखाए गए ध्यान के क्रियायोग मार्ग के द्वारा मानव चेतना आन्तरिक एकत्व की इस अवस्था को प्राप्त करती है। तथा इस मार्ग की नींव है वैज्ञानिक ध्यान का नियमित अभ्यास। वहीं, अधिक जानकारी के लिए इसके वाबसाइट पर भी विजीट कर सकते हैं-yssofindia.org

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