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करनडीह में संपन्न हुई सप्ताहिक प्रार्थना सभा, अखिल भारतीय संताली शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित

करनडीह: झारखंड के करनडीह में आयोजित हुई संप्रभुता और आदिवासी समाज के विकास के लिए संगठित की गई सप्ताहिक प्रार्थना सभा के दौरान, अखिल भारतीय संताली शिक्षा परिषद के कार्यालय के माध्यम से एकता और उन्नति के लिए प्रार्थनाएं की गईं। इस सभा की अध्यक्षता करनडीह सेंगेल माझी अर्जुन मुर्मू ने की। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने भाषण में आदिवासी समाज की मुश्किलों पर चर्चा की और उनकी सुरक्षा के लिए आवाज उठाई।

सप्ताहिक प्रार्थना सभा के दौरान, सेंगेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने विभिन्न मुद्दों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज विभिन्न संकटों का सामना कर रहा है और उन्हें समाधान ढूंढने की आवश्यकता है। सरना धर्म कोड, संताली भाषा को मान्यता देने के लिए, मरंगबुरू वापसी, कुरमी जाति को एसटी नहीं बनाने, आदिवासी स्वशासन में जनतंत्र और संविधान को लागू न करने, असम और अंडमान के झारखंडी आदिवासियों को एसटी नहीं बनाने, आदिवासी समुदाय का गढ़ झारखंड का लूटा जाना आदि मुद्दे आदिवासी समाज के लिए खतरे की घंटी हैं।

इसके अलावा, सभा में यह भी दर्शाया गया कि प्रत्येक आदिवासी गांव और समाज में नशेड़ी पदार्थों, अंधविश्वास, डायन प्रथा, ईर्ष्या, आदिवासी महिला विरोधी मानसिकता, वोट के खरीद और बिक्री जैसी बीमारियों से जूझ रहा है। इन मुद्दों को सुधारने की आवश्यकता है और सभी गांवों को इसमें सहयोग देना चाहिए।

आदिवासी समाज के विकास के लिए, राजनीतिक पार्टियों और विशेष रूप से झारखंड मुक्ति मोर्चा के लोगों पर बहुत ज्यादा जिम्मेदारी है। इनको बेनकाब करने की आवश्यकता है और उनके द्वारा समस्याओं का समाधान ढूंढ़ना चाहिए। अंत में, 30 जून 2023 को कोलकाता ब्रिगेड परेड ग्राउंड पर विश्व सरना धर्म कोड जनसभा को सफल बनाने के लिए एक संकल्प लिया गया है। सप्ताहिक प्रार्थना सभा में केंद्रीय संयोजक सुमित्रा मुर्मू, करनडीह सेंगेल माझी अर्जुन मुर्मू, बहादुर हांसदा, बिमो मुर्मू, सिदो मुर्मू, जयललिता टुडू, ममता टुडू, सीताराम माझी, कुनुराम बासके, डॉ पी आर मार्डी, बिरसा मुर्मू, छिता मुर्मू, सीतामनी हांसदा, तिलका मुर्मू आदि मौजूद थे।


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