Monsoon Diseases Prevention Tips: बदलते
मौसम में तबीयत खराब होना आम बात है. हर जगह बरसात के मौसम ने दस्तक दे दी है.
इससे अस्पताल में सामान्य बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. हालांकि,
यह हमारी बीमारी लापरवाही से भी होती है. रिम्स अस्पताल के प्रो. संजय सिंह (मेडिसिन) मौसमी बीमारियों से बचने के उपाय बता
रहे हैं-
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Photo Courtesy: Zee Business & Health Shots |
Monsoon Diseases Prevention Tips: एक ओर जहां झमाझम बारिश गर्मी से राहत दिलाती है, वहीं दूसरी
ओर तरह-तरह की बीमारी के होने का कारण भी बनती है। दरअसल, अभी मानसून सीजन चल रहा
है और नॉन स्टोप वर्षा हो रही है। जाहिर
सी बात है.. बदलते मौसम में तबीयत खराब होना आम बात है। यही वजह है कि रांची रिम्स
अस्पताल में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। इसकी वजह लापरवाही भी हो सकती
है। क्योंकि, मरीज सामान्य बीमारी से ग्रसित हैं। जिससे सावधानियां बरतने से बचा
जा सकता है। इसे लेकर मेडिसिन विभाग के प्रो. संजय सिंह ने एक साक्षात्कार के
दौरान यह जानकारी दी।
मानसून बीमारी होने का गणित समझिए
एक्सपर्ट की मानें तो मौसम के बदलने से शरीर का इम्यून सिस्टम प्रभावित
होता है। वहीं, मौसम
में बदलाव होने से बैक्टीरिया, वायरस आदि एक्टिव हो जाते
हैं, जो शरीर पर आक्रमण करते हैं। जब यही वायरस शरीर पर आक्रमण करने लगते हैं तो बरसात
के साथ मलेरिया, डेंगु जैसी कई प्रकार की संक्रामक बीमारियां बढ़ने
लगती हैं। आसपास जलजमाव व कीचड़ होने के कारण मच्छर अधिक पैदा होते हैं। इसलिए, इस मौसम में हमेशा सावधानी बरतने का सलाह दी जाती
है।
ये हैं वचाव के उपाय
नेटमेड्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, बरसात से
बीमारियों का पुराना रिश्ता रहा है। इससे बचने के लिए आप स्वच्छता का ध्यान रखें। दिन
में कई बार हाथों को धोएं। खासतौर पर ठेले-खोमचे व बाहर से खाना खाने से बचें। अपनी इम्यूनिटी को
बढ़ाएं और पानी को फिल्टर
कर ही पिएं। छींकते या खांसते समय हमेशा मुंह और नाक को ढ़कें। भीड़-भाड़ वाले इलाकों में
जाने के दौरान एन95 मास्क का प्रयोग करें। अपने घर के आसपास जल जमाव न होने दें और
सोते वक्त मच्छरदानी लगाएं।
खानपान का भी रखें खास ख्याल
बरसात में बीमारियों के दस्तक से बचने के लिए ऐसी
चीजों का सेवन करें जिससे आपका इम्यून सिस्टम मजबूत हो। अपने आहार में विटामिन-C, विटामिन-B12 और विटामिन-D आदि को रोजाना जरूर शामिल करें। वहीं, इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के
लिए विटामिन-C का उपयोग बेहद जरूरी है। इसके लिए फल व हरी
सब्जियों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें। मानसून में हो रही बिमारियों में श्वसन
तंत्र सबसे अधिक प्रभावित होता है। क्योंकि, इसके जरिए ही शरीर पर बैक्टीरिया का
आक्रमण होता है।
बारिश का आनंद पड़ेगा भारी
मानसून सीजन में बरसात का आनंद लेना भी भारी पड़
सकता है। क्योंकि, बारिश में भींगने से तबीयत खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। WHO के अनुसार, बरसात के पानी में बैक्टीरिया, वायरस
और जीवाणु मौजूद होते हैं, जो त्वचा के माध्यम से शरीर
में प्रवेश कर सकते हैं और बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, भींगे रहने
से शरीर की गर्मी निकल जाती है जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और सर्दी,
बुखार, खांसी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
मानसून में किन बीमारियों का खतरा ज्यादा
मलेरिया: घर के आसपास जल जमाव व कीचड़ में मच्छर पनपते हैं, जो इस बीमारी का
मुख्य कारण बनता है। इसके मुख्य लक्षण में तेज बुखार, ठंड
लगना, कंपकंपी, जरूरत से ज्यादा
पसीना आना और गंभीर एनीमिया, आदि शामिल हैं।
डेंगु: मानसून सीजन में डेंगू बुखार सबसे आम हो जाता है, जो जंगल में लगी आग की तरह फैलता है। NCVBDC के
अनुसार, इस बीमारी के चलते प्रत्येक वर्ष हजारों लोग अपनी
जान गंवा बैठते हैं। साल 2021 में, 1 लाख से भी ज्यादा मामले सामने आए थे। आमतौर इस
मरीज पसीना आना, सिर दर्द, आंखों
में दर्द होना, मितली, उल्टी,
कमजोरी, चकत्ते, हल्की ब्लीडिंग और ब्लड प्रेशर कम होने जैसे लक्षणों का अनुभव करते
हैं।
चिकनगुनिया: इस बीमारी के होने की वजह भी मच्छर है। पानी में पनपे टाइगर एडीज
एल्बोपिक्टस मच्छर के कारण चिकनगुनिया फैलता है। इसके लक्षण संक्रमित मच्छर के
काटने के 3 से 7 दिनों के बाद
नजर आते हैं। जिसमें बुखार, शरीर और जोड़ों में दर्द
शामिल है।
डायरिया: मानसून सीजन में दस्त होना भी आम बात है। इस मौसम में नमी और उमस के
कारण खाना आसानी से खराब हो जाता है, जिसकी वजह से किसी
का भी पेट खराब हो सकता है। वहीं, बाहर खाना खाने से भी इन्फेक्शन्स बढ़ जाने की
वजह से दस्त का खतरा बढ़ जाता है।
टाइफाइड: बरसात के समय टाइफाइड के मामले भी बढ़ने लगते हैं, जो आमतौर पर दूषित खाने और पानी से होता है। इसके लक्षणों में लगातार
तेज बुखार आना, कमजोरी महसूस होना, पेट में दर्द और भूख न लगने के लक्षण परेशान करते हैं, जिससे वजन भी घटने लगता है।
इन्फ्लूएंजा: उमस बढ़ने और तापमान में बदलाव आने से इन्फ्लूएंजा के मामले सामने आते हैं।
यह संक्रमण तेजी से फैलने वाला होता है, जिसमें बुखार,
मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश,
नाक बंद होना, सूखी और लगातार खांसी
होने जैसे लक्षण दिखते हैं। इसकी वजह से निमोनिया, अस्थमा,
डायबिटीज और दिल की बीमारी जैसे लक्षण भी दिखते हैं।
Disclaimer: वार्ता टाइम्स की यह खबर सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी बिमारी के इलाज के लिए हमेशा डॉक्टर से सलाह लें।
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