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Jan Aushadhi Kendra RIMS: जिनके लिए किया जा रहा करोड़ों खर्च, वे भटक रहे हाथों में दवा की पर्ची लेकर

Jan Aushadhi Kendra RIMS: झारखंड के रिम्स अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था लचर है. गरीब रोगियों के लिए खोली गई जेनेरिक दवा दुकान में उनकी आवश्यक दवाएं नहीं होती हैं. दलालों की मदद से रोगियों को महंगी दवाएं खरीदने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

Jan Aushadhi Kendra RIMS, Ranchi: झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था लचर और बदहाल है। हालत यह है कि सरकार की ओर से राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में प्रतिमाह करोड़ों की दवाएं खरीदी जाने के बावजूद रोगियों को दवाएं नहीं मिल रही हैं। बार-बार इसकी शिकायत के बावजूद रोगी और परिजन दवाओं के लिए दर-दर भटकते नजर आते हैं।

एजेंट बताते हैं ब्रांडेड दवा दुकानों का पता
दरअसल, गरीब रोगियों की सुविधा के लिए रिम्स अस्पताल परिसर में ही एक जेनेरिक दवा की दुकान भी खोली गई है, पर यहां जरूरत की दवाएं ही नहीं रहतीं। हां.. यहां कुछ ऐसे दलाल जरूर मौजूद रहते हैं, जो दवा नहीं मिलने से निराश रोगी और उनके परिजनों को कुछ खास ब्रांडेड दुकानों का पता बताते दिख जाते हैं। बताया जाता है कि ये दवा दुकानों के एजेंट हैं। उन्हें पता होता है कि किस रोगी के पास किस डॉक्टर की पर्ची है। उन्हें ये भी पता होता है कि कौन से डॉक्टर की लिखी दवाएं कहां मिलेगी। कुल मिलाकर कहा जाये, तो एक सोची-समझी साजिश के तहत रोगियों को मूर्ख बनाकर उनकी जेब ढ़ीली की जा रही है।

इस विभाग की दवा सबसे कम  
जेनेरिक दवा दुकान पर दवा लेने पहुंचे मरीजों और उनके परिजनों से बातचीत के बाद यह स्पष्ट हुआ कि जेनेरिक दवा दुकान में सिर्फ सर्दी, खांसी और बुखार जैसी मामूली रोगों की दवाएं ही उपलब्ध हैं। बाकि हॉर्ट, लीवर, किडनी और स्किन की दवाएं यहां नहीं मिल रहीं। जबकि, इन बीमारियों की दवाएं महंगी आती हैं। वहीं, स्किन स्पेशियलिस्ट की जितनी भी पर्चियां आती है, उनमें लिखी एक भी दवा नहीं मिल रही। इस संबंध में स्किन स्पशियलिस्ट डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि दवा का अस्पताल में नहीं मिलना प्रबंधन की जिम्मेदारी है। और यदि वे दवाओं का कंपोजिशन लिखने लगें, तो पूरा पेज ही भर जायेगा।

दुकानदार जवाब देने से कर रहे इनकार
वहीं जेनेरिक दवा दुकान की बात करें, तो ये भी लापरवाही बरत रहे हैं। सरकार द्वारा अलॉटेड सारी दवाएं मंगवा कर रोगियों को उपलब्ध कराना इनकी जिम्मेदारी है। परंतु ये नियमित अलॉटेड दवाएं मंगवाते या उठवाते ही नहीं हैं। ये तो यह भी नहीं बताते कि उनके यहां कितनी तरह की दवाएं मौजूद हैं। इस संबंध में रिम्स परिसर स्थित जेनेरिक दवा दुकानदार बात करने से इनकार कर देते हैं।

गाइडलाइंस का भी उल्लंघन कर रहे हैं डॉक्टर
उधर, केंद्र सरकार का स्पष्ट निर्देश होने के बावजूद रिम्स के डॉक्टर न तो दवाओं का कंबिनेशन लिख रहे हैं और न ही कैपिटल लेटर में दवाओं का नाम। इससे भी दवा खरीदनेवाले परेशान हो रहे हैं। बहरहाल रिम्स में हर दिन केंद्र सरकार के निर्देशों का खुला उल्लंघन हो रहा है। इसे रोकने-टोकने और देखने वाला भी कोई नहीं है। नतीजा है कि जिनके लिए रिम्स बना है और जिनके लिए सरकार करोड़ों खर्च कर रही हैं, वे हाथों में दवा की पर्ची लिये दर-दर भटकने को मजबूर हैं।


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