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Gadar 2 Movie Review: पहली फिल्म में उखाड़ा हैंडपंप तो दूसरे में चलाया हथौड़ा; सिनेमाघरों में सीटियां मारने पर मजबूर हैं दर्शक, पढ़ें फिल्म रिव्यू..

स्क्रीन पर : 11 अगस्त
डायरेक्टर : अनिल शर्मा
ऐक्टर : सनी देओल
, अमीषा पटेल, उत्कर्ष शर्मा और मनीष वाधवा
अवधि :
 2 घंटे 45 मिनट
जॉर्नर : हिन्दी ड्रामा
रेटिंग- 2.5 स्टार

Photo Courtsey: Google 










Gadar 2 Movie Review: सनी देओल और अमीषा पटेल की फिल्म गदर ब्लॉकबस्टर रही है जिसे साल 2001 में रिलीज की गई थी। इस फिल्म को अनिल शर्मा ने डायरेक्ट किया था। उस समय इसका मुकाबला बॉक्स ऑफिस पर लगान के साथ हुआ था, फिर भी यह बॉक्स ऑफिस की बादशाह बनी थी। अब गदर-2 रिलीज हुई है तो इसका मुकाबला ओएमजी-2 से है। इसे भी अनिल शर्मा ने ही डायरेक्ट किया है। एक बार फिर तारा सिंह के किरदार में सनी देओल स्क्रीन पर गदर मचा रहे हैं। फिल्म देखने के बाद दर्शक सिनेमाघरों में सीटियां बजाते नजर आ रहे हैं।


क्या गदर-2 की कहानी?
दरअसल
, मुख्यतौर पर गदर की कहानी सनी देओल, अमीषा पटेल और उनके बेटे उत्कर्ष शर्मा पर आधारित है। वे शांति से अपना जीवन जी रहे थे। लेकिन, किसी कारणवश तारा सिंह यानी सनी देओल पाकिस्तान जाते हैं। फिर कुछ ऐसे होता है कि जीते यानी उत्कर्ष शर्मा को भी एक मिशन पर निकलना पड़ता है। फिर हालात कुछ ऐसा होता है कि पुरानी रंजिश के कारण उन्हें एक बार फिर पाकिस्तानी जनरल से टकराना पड़ता है। वहां तारा सिंह उनसे मुकाबला हथौड़ा से करते हैं और अंतिम क्षण में बिजली के खंभे भी उखाड़ देते हैं। इससे कुल-मिलाकर ये कहा जा सकता है कि कहानी कच्ची है जिसे और मांझने की जरूरत थी। इसमें कुछ नया करने की कोशिश नहीं की गई है जिसे देखने के बाद रोंगटे खड़े हो जाएं।

प्यार को वापस लाने की जद्दोजहद प्रेम की ताकत
फिल्म
 गदर बंटवारे के दौर की कहानी थी। जिसका मुख्य आकर्षण सकीना हैं, जो बंटवारे के दंगा-फसाद में अपने परिवार से बिछड़ जाती है। वह हमलावरों का शिकार होने ही वाली रहती है कि उसे एक ट्रक ड्राइवर तारा सिंह बचा लेता और उस मुस्लिम लड़की को अपनी पत्नी बना लेता है। दोनों का एक प्यारा सा बेटा है जीते। तारा सिंह अपनी पत्नी को पाकिस्तान से वापस लाने की जो जद्दोजहद करता है, वही उसके प्रेम की ताकत के रूप में सामने दिखता है। बाकि, इस बार की कहानी में तारा सिंह की मदद करने के आरोप में अशरफ अली को फांसी दी जा चुकी है। यहां जीते का मन पढ़ाई में कम और फिल्मों में ज्यादा लगता है। तारा सिंह फौजियों को रसद आपूर्ति का काम करता है और एक दिन खबर आती है कि पाकिस्तानी फौज ने उसे बंधक बना लिया है। इसके बात जीते वापस लाने के लिए पाकिस्तान जाता है। लेकिन, मामला तो तब बिगड़ता है जब तारा सिंह अपने घर पहुंच जाता है और जीते को पाकिस्तानी सेना आईएसआई की मदद से पकड़ लेती है।

इस बार भी प्रेम कहानी जारी है..
फिल्म
 गदर और गदर-2’ का मुख्य बिंदू एक ही है। पिछली बार पाकिस्तान से सकीना हिंदुस्तान आई थी। इस बार चुनौती मुस्कान को लाने की है। दरअसल, मुस्कान ही पाकिस्तान में जीते की मदद करती है और उससे प्रेम भी हो जाती है। अनिल शर्मा ने ये प्रेम कथा आगे भी जारी रहने का संकेत दिया है। क्योंकि, जीते अब फौज में भर्ती हो चुका है लिहाजा बहुत संभव है कि अगली बार ये प्रेम कथा कारगिल युद्ध के आसपास बुनी जाये। फिल्म में देश प्रेम, पाकिस्तान विरोध, हिंदू-मुस्लिम भाईचारे और दो पीढ़ियों के आपसी प्रेम पर ध्यान दी गई है।

जब लाहौर की गलियों में दिखा वही हैंडपंप
दर्शकों को मजा तो तब आता है जब लाहौर की गलियों में तलवार लहराती भीड़ तारा सिंह को घेर लेती है और सामने हरे रंग का हैंडपंप नजर आता है। हालांकि, इसमें अनिल शर्मा के निर्देशन की होशियारी की झलक बन जाता है। क्योंकि, इस बार भीड़ से बचने के लिए तारा सिंह हथौड़ा से मुकाबला करते हैं। सनी देओल का हथौड़ा वाला दृश्य फिल्म देखने पहुंचे उनके प्रशंसकों के लिए उत्सव सरीखा है।

ऐसे बदल रहे सिनेमाघरों के रूप
राजधानी रांची में आठ सिनेमाघर हैं
, जो आधुनिक सुविधाओं से युक्त हैं। राजधानी रांची में नौ सिनेमाघर हैं, जो आधुनिक सुविधाओं से युक्त हैं। इन सिनेमाघरों में 70 प्रतिशत से अधिक टिकट की बुकिंग ऑनलाइन ही होती है। जिसमें आइलेक्स, फन सिनेमा, मिराज सिनेमा, पॉपकार्न सिनेमा, सुजाता, पीवीआर, प्लाजा, जेडी सिनेमा शामिल है। वहीं पीजेपी सिनेमा की शुरुआत 13 अगस्त को ही हुई है। मॉल ऑफ रांची में खुला पीजेपी नयी तकनीक के साथ लैस है। कुछ सिनेमाघरों में तीन, तो कुछ में छह कैटेगरी में दर्शकों के बैठने की सुविधा है। इसमें सिल्वर, गोल्ड, प्रीमियम, ग्रीको, क्लब, रिक्लाइन जैसे कैटेगरी हैं।

गदर-2 का निर्देशन कैसा रहा?
फिल्म की कहानी और निर्देशन दोनों ही मामले पर अनिल शर्मा बहुत अच्छा काम नहीं कर सके। फिल्म के सीन भी पुराने तरह के लगते हैं। निर्देशन के मामले में भी अनिल शर्मा नयापन लाने में सक्षम नहीं हैं। गदर जैसी फिल्म की कहानी धमाकेदार होनी चाहिए। सनी देओल ही फिल्म की यूएसपी हैं,
 लेकिन यहां उत्कर्ष शर्मा को एक बार फिर लॉन्च किया जा रहा है तो उनका स्क्रीनस्पेस कम हो जाता है।

एक्टिंग में सनी देओल अव्वल
फिल्म गदर-2 के एक्टिंग के मामले में सनी देओल अव्वल हैं। वह तारा सिंह के किरदार को परदे पर उतारने के लिए हर वह काम करते हैं जो कर सकते हैं।
 66 साल की उम्र में उनकी फिटनेस वाकई काबिलेतारिफ है। हालांकि, अन्य सितारे अमीषा पटेल, उत्कर्ष शर्मा और मनीष वाधवा भी अच्छा काम किए हैं। लेकिन, सनी देओल का साथ देने में कामयाब नहीं रहते हैं।

ऐसा है गदर-2 का वर्डिक्ट
जब साल 2001 में गदर-2
 रिलीज हुई थी तो धमाल मच गया था। फिल्म में प्रेम कहानी, रोंगटे खड़ा कर देने वाला एक्शन सीन और तारा सिंह की पाकिस्तान में दहाड़ बेमिसाल था। लेकिन, गदर-2 में कुल मिलाकर बहुत ही बनावटी और देखा हुआ सा लगता है। हालांकि, सनी देओल के फैन्स को ये फिल्म जरूर पसंद आ सकती है। इस तरह जिन्होंने गदर देखी हुई है, उन्हें जरूर निराशा हो सकती है।


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