जटिलता से हुआ सर्जरी
गौरतलब है कि इस युवती की पहले भी गुजरात में एक बार वाल्व
रिप्लेसमेंट सर्जरी हो चुकी थी. उस दौरान ने चिकित्सकों ने तो सफल बता दिया लेकिन
करीब सात साल बाद मरीज के वाल्व काम करना बंद कर दिया. जब स्थिति गंभीर होने लगी
तो परिजनों ने मरीज को रिम्स में भर्ती कराया. जहां उसकी जान बचाने के लिए रीडू
सर्जरी कराया.
लाखों की फीस वाली सर्जरी नि:शुल्क
बता दें कि सीटीवीएस विभागाध्यक्ष डॉ. विनीत महाजन और निश्चेतना
विभाग के डॉ. शिवप्रिय की टीम ने यह सर्जरी की. उन्होंने करीब 8 घंटे तक यह ऑपरेशन चलाया. क्योंकि, एक सर्जरी होने
के बाद हृदय अंदर से बहुत अधिक चिपक जाता है. इस वजह से दूसरी सर्जरी में काफी
परेशानियों का सामना करना पड़ा. खैर अब युवती के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार आ रहा
है और बहुत जल्द उसे अस्पताल से भी छुट्टी दे दी जाएगी. खास बात तो यह है कि जिस
इलाज के दूसरे अस्पताल में 2-3 लाख की डिमांड करता है उसे
रिम्स ने नि:शुल्क किया.
Rims News Today: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल कहे जाने वाले रिम्स (RIMS) की जितनी आलोचना होती है, ये उतना ही प्रशंसा के भी
काबिल है. दरअसल, पिछले महीना (RIMS) रिम्स
अस्पताल के सीटीवीएस विभाग (Cardiothoracic Vascular Surgery Department) में पहली बार रीडू वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी (redo valve
replacement surgery) की गयी है. रिम्स के चिकित्सकों ने 22 वर्षीय का सफल रीडू सर्जरी कर नया जीवन दिया.
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