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IPS Abhishek Pallava Story: बिहार का ये लड़का डॉक्टर से बना आईपीएस, अब जगह-जगह लगाता है मेडिकल कैंप

फ़ाइल फोटो 
IPS Abhishek Pallava Story: आमतौर पर जब आप पुलिस अधिकारी का नाम लेते या देखते हैं तो हमेशा ही दिमाग में सकारात्मक छवि उभरती है. वहीं, कई बार ऐसा भी लगता है कि पुलिस बड़े स्ट्रिक्ट होते होंगे. लेकिन, जब आप दुर्ग एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव को देखेंगे तो ऐसा बिलकुल भी नहीं लगेगा. क्योंकि, अब तक उनका अपराधियों के साथ बात करने के दौरान की कई वीडियो सोशल मीडिया पर है. शुरुआत में तो जब आपने उन्हें यूट्यूब पर देखा होगा तो ऐसा जरूर लगा होगा कि शायद यह वीडियो फिल्म सेट से वायरल हुई होगी.


नक्सल इलाकों में भी जीता दिल  
हालांकि
, अगर आज भी आपका मानना है तो बता दें कि जिस अभिषेक पल्लव को आप देख रहे थे-सुन रहे थे, वे वाकई में पुलिस अधिकारी हैं और छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में पदस्थ हैं. दरअसल उनका स्वभाव व बातचीत करने का अंदाज बड़ा ही सौम्य है. उन्होंने बस्तर और दंतेवाड़ा जैसे भीषण नक्सल इलाकों में लोगों का दिल जीता. कई नक्सलियों का एनकाउंटर किया.

ऐसा रहा आईपीएस बनने की कहानी
 
डॉ. पल्लव के सक्सेस स्टोरी की बात करें तो वे मूल रूप से बिहार के बेगुसराय जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने
2009 में एम्स से एमडी की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद साल 2012 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा क्रैक करके आईपीएस बने. अभिषेक के पिता ऋषि कुमार सेना में थे. इसलिए अभिषेक की स्कूलिंग सेना के स्कूल में हुई है. वह शुरू से ही आईपीएस बनना चाहते थे. लेकिन वह डॉक्टरी की पढ़ाई करने एम्स गए. साथ ही उन्होंने साइकेट्री की पढ़ाई भी की है.

देश सुरक्षा के साथ ही लगाते हैं मेडिकल कैंप
आईपीएस अभिषेक पल्लव की पहली पोस्टिंग छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में एडिशनल एसपी एंटी नक्सल ऑपरेशन के रूप में हुई थी। वह वहां तीन साल तक रहे। इसके बाद वह कोंडागांव के एसपी बने। यहां भी करीब एक साल तक रहे। इसके बाद वह फिर से एसपी दंतेवाड़ा बनाए गए। वहीं
, आईपीएस अभिषेक पल्लव एक प्रशिक्षित मनोचिकित्सक हैं तो उनकी पत्नी डॉ. यशा पल्लव एक त्वचा रोग विशेषज्ञ हैं। दोनों पति-पत्नी साल 2016 से ही सुदूर नक्सली हिंसा प्रभावित गांवों में स्थानीय लोगों के लिए मेडिकल कैंप लगाते हैं। बता दें कि वह अब तक सैकड़ों मेडिकल कैंप लगा चुके हैं. जिसमें आम लोगों की स्वास्थ्य समस्याओं की जांच की जाती है. जरूरत पड़ने पर उन्हें पुलिस की एंबुलेंस से जिला अस्पताल रेफर किया जाता है. उनके नेक कार्यों को देखते हुए राष्ट्रपति के हाथों पुलिस वीरता पदक भी मिल चुका है. ऐसा है डॉ. अभिषेक पल्लव की असली कहानी.

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