दरअसल, कैबिनेट से पास होने के बाद झारखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षकों
को प्रोफेसर के वेतनमान में जल्द प्रमोशन मिल सकेगा. झारखंड देश का ऐसा एकलौता
राज्य है, जहां विश्वविद्यालय शिक्षकों की प्रोन्नति के लिए
नियमावली नहीं है. 31 दिसंबर 2008 के बाद प्रमोशन नियम बना ही नहीं. ऐसे में राज्य
के अधिकतर विवि शिक्षक प्रोफेसर नहीं बन पाए. इसका नतीजा यह हुआ कि पुराने
प्रोफेसर आयु के कारण वीसी-प्रोवीसी बनने से छंट गए, जबकि नए
विवि शिक्षक प्रोफेसर नहीं बन पाए थे. ऐसे में वे आवेदन कैटेगरी से बाहर थे.
गौरतलब है कि कम से कम 10 वर्ष पुराने और 65 वर्ष से कम वाले प्रोफेसर ही वीसी या
प्रोवीसी के लिए आवेदन दे सकते हैं. पड़ोसी सभी राज्यों ने प्रोन्नति नियमावली बनाई
हुई है, जिस कारण इन राज्यों के प्रोफेसर झारखंड के विभिन्न
विश्वविद्यालयों के वीसी-प्रोवीसी बने हुए हैं.|
यूजीसी के नए रेगुलेशन-2010 पर बना प्रोन्नति का प्रावधान
यूजीसी के नए रेगुलेशन-2010 के तहत प्रोन्नति का प्रावधान है. इसमें शिक्षकों को तय समय में 5 रिसर्च पेपर जमा
करने होंगे. इसके बाद उन्हें प्रमोशन का लाभ मिल सकेगा. राज्य सरकार ने नेट से पीएचडी, सीधे पीएचडी और
प्री-पीएचडी के जरिए पीएचडी के छात्रों के लिए भी विशेष प्रावधान किया है. जेपीएससी में भी स्पष्ट है कि वह किस आधार पर प्रोन्नति की अनुशंसा करेगा.
1993 और 1996 में नियुक्ति हुए 2000 शिक्षकों को लाभ
विवि में गिने-चुने प्रोफेसर हैं, जो 65 वर्ष से अधिक हैं. इससे वीसी-प्रोवीसी पद पर दूसरे राज्यों का कब्जा हो जाता है. झारखंड विवि शिक्षक सेवा, नियुक्ति, प्रोन्नति नियमावली बनने से वर्ष 1993 और 1996 में नियुक्त हुए विवि के 2000 शिक्षकों को लाभ
मिलेगा. इस बैच के शिक्षक बिहार में प्रोफेसर बन गए हैं.
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