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IPl 2025: मैदान में बस Mahi का आ जाना ही फैंस के लिए पैसा वसूल का एहसास, 43 साल की उम्र में भी क्रिकेट के मैदान पर कैसे छाए रहते हैं MS Dhoni?

MS DHONI in IPL 2025:
 जिसकी एक झलक ही सबसे अलग है. जो भले ही क्रिकेट का खुदा न हुआ लेकिन खिलाड़ी सबसे जुदा बना. जिसकी एंट्री मात्र ही उस मैच का सबसे यादगार क्षण बन जाए. शोर मीटर नए रिकॉर्ड बना दे. सालभर कोई प्रतिस्पर्धी क्रिकेट नहीं खेलता है और पूरे 309 दिन बाद मैदान में उतरकर 43 की उम्र में 0.49 सेकंड की रफ्तार से गिल्लियां बिखेर देता है. खिलाड़ी जिसके मैदान में आ जाना भर ही फैंस के लिए पैसा वसूल अहसास होता है. जो 2004 में नाम बनाने आया था और ऐसा प्यार पाया कि आधा दर्जन और नाम मिल गए. थाला, कैप्टन कूल, चाचा चौधरी जैसी न जाने कितनी उपमाएं पा गया. ये केवल पीआर से कमाया गया प्यार तो नहीं हो सकता. कुछ तो अलग बात है इस आदमी में. या शायद, सबसे सामान्य होना ही इसे सबसे अलग बना गया.

पता है? ये खिलाड़ी न अगले घर का लड़का लगता है. जैसे कि पड़ोस में ही रहता हो. रांची में किसी भी क्रिकेट पसंद करने वाले लड़के से बात करिए, ये इंसान उनके लिए अंग्रेज़ीदा एमएसडी नहीं बल्कि धोनिया, महिया या महेंदर होगा. ब्रॉडकास्टर्स और कॉमेंटेटर भले ही उन्हें द एमएसडी बना दें लेकिन उसने खुद को महिया ही रहने दिया है. किसी गांव में जाकर खेत की मेड़ में बैठ जाता है. कभी किसी रोड साइड ढाबे में बचपन के दोस्तों के साथ तंदूरी रोटी और बटर चिकन खाता हुआ दिख जाता है. कभी एयरपोर्ट के लाउंज में सिर के बीच पिट्ठू बैग रखकर सो जाता है. क्या ऐसा दिखावे के लिए करता है? नहीं! साधारण होना सबसे मुश्किल काम है. ये समझ लीजिए. 

इसने लोगों को कमाया है. लोग इससे मोहब्बत करते हैं क्योंकि ये उन्हें उनके घर का लगता है. छोटे बच्चे इसमें अपना बड़ा भाई देखते हैं. बड़ों को ये महिया लगता है. बुजुर्ग इसमें अपना बेटा देखते हैं और साथ वालों के लिए ये धोनिया है.

पिछले दिनों हरभजन ने बताया कि मैं धोनी से किसी फंक्शन में मिला था. बातों–बातों में पूछ लिया कि यार तू सालभर कोई प्रतिस्पर्धी क्रिकेट नहीं खेलता. फिर आईपीएल में कैसे 43 की उम्र में भी गेंदबाजों को डॉमिनेट करता है? थाला ने जवाब में कहा कि पाजी! क्रिकेट एक ऐसी चीज है जिससे मैं कभी बोर नहीं हुआ. ये एक ऐसी चीज है जो मुझे रोज करना पसंद है. अधिकांश समय रांची में रहता हूं. रोज शाम को मैदान में जाता हूं और नेट्स पर बल्लेबाजी करता हूं. बकौल हरभजन, धोनी रोजाना नेट्स पर कम से कम 3 घंटे बिताते हैं. अभी सीएसके के कैंप में सबसे पहले मैदान में आने वाले शख्स भी धोनी हैं और सबसे आखिर में मैदान से जाने वाले भी. थ्री इडियट्स का फरहान कहता है न कि जिस काम में मजा आए वो करो, फिर काम, काम नहीं खेल लगेगा. फिर धोनी का तो काम और खेल दोनों ही क्रिकेट है.


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