Evolution Gallery,
पटना के श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र (Shrikrishna Science Centre) के इवोल्यूशन गैलरी (Evolution Gallery) को काफी आकर्षक रूप से तैयार किया गया है. अब इसे देखने का इंतजार जल्द खत्म होने वाला है. क्योंकि, 24 नवंबर को इसका उद्घाटन उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी करने जा रहे हैं. बता दें कि, गैलरी का नाम हॉल ऑफ एवोलूशन (Hall of Evolution) रखा गया है. इस गैलरी में पृथ्वी की उत्पति से लेकर वर्तमान के मानव की जानकारी मिलेगी. इसमें कई डिजिटल स्क्रीन हैं, जिसमें तरह-तरह की जानकारी मिलेगी. कई टच डिस्प्ले लगे हैं, जिसमें रंगीन चित्र के साथ उसके बारे में पढ़ भी सकते हैं. इसके बाद खुद को जांचने के लिए आप क्विज भी खेल सकते हैं. पेश है इस गैलरी पर आधारित विस्तृत रिपोर्ट..
गौरतलब है कि, सभी प्रदर्शों को निर्धारित स्थान पर रखने के बाद काफी आकर्षक लग रहे हैं. इसमें अब दर्शकों को पृथ्वी की उत्पति से लेकर आज के मानव, जीव, वनस्पती, पेड़-पौधों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी. इस गैलरी को संग्रहालय के रूप में संजोया गया है. इसके उद्घाटन की तिथि काफी खास है. दरअसल, 24 नवंबर 1859 को (Charles Darvin) चार्ल्स डार्विन ने ‘ऑन द ओरिजिन ऑफ स्पीशीज’ (On the Origin of Species) नामक पुस्तक प्रकाशित की, जिसने दुनिया को प्राकृतिक चयन द्वारा इवोल्यूशन के सिद्धांत से परिचित कराया. इसी को लेकर इस तिथि को इसका शुभारंभ करने को लेकर तैयारी चल रही है. इसका उद्घाटन उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी करेंगे.
गैलरी के दाहिने ओर एक प्रोजेक्टर लगा है. जिसपर ‘होमो सेपियंस हमारी कहानी’ शो चलेगी. मालूम हो कि, मानव की उत्पत्ति और विकास की यात्रा को दर्शाता है यह किताब मानव सभ्यता के इतिहास, हमारी उत्पत्ति, विकास, और समाज के निर्माण को समझने का एक प्रयास है. इसके माध्यम से यह बताया गया है कि कैसे होमो सेपियंस ने अन्य प्रजातियों को पीछे छोड़ते हुए दुनिया भर में अपना प्रभुत्व स्थापित किया. विकासात्मक, जैविक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, यह कहानी हमारे पूर्वजों के संघर्ष, सफलताओं, और निरंतर आगे बढ़ने की यात्रा को उजागर करती है. मानवता के इतिहास को नए दृष्टिकोण से समझने का यह एक महत्वपूर्ण प्रयास है. इसे वीडियो माध्यम से आप देख सकेंगे.
होमो सेपियंस के विकास की प्रक्रिया
हमारे पूर्वजों का अध्ययन प्रारंभिक होमिनिन से आधुनिक मानव तक की विकास यात्रा को समझाता है. प्रमुख मील के पत्थर में ऑस्ट्रेलोपिथेकस अफारेन्सिस में द्विपादवाद, होमो हैबिलिस में उपकरणों का उपयोग, और होमो इरेक्टस में मस्तिष्क का विस्तार शामिल हैं. चिम्पांजी, हमारे सबसे करीबी रिश्तेदार, सामाजिक व्यवहार और उपकरणों के उपयोग के माध्यम से विकासात्मक चरणों को समझने में मदद करते हैं. यह यात्रा क्रमिक अनुकूलन, जैसे कि सीधा चलना और मस्तिष्क का आकार बढ़ने के माध्यम से होमो सेपियंस के विकास की जटिल प्रक्रिया को रेखांकित करती है.
जहां बैठ रिसर्च करते थे चार्ल्स डार्विन
गैलरी में एक कमरे को तैयार किया गया है. इसमें चार्ल्स डार्विन बैठे नजर आएंगे. उनके पीछे कई पुस्तकों को भी रखा गया है. साथ ही उनके कई संग्रहों की आकृति भी देखने को मिलेगी. मालूम हो चार्ल्स डार्विन ने क्रमविकास के सिद्धांत का प्रतिपादन किया. उनका शोध आंशिक रूप से साल 1831 से 1836 में एचएमएस बीगल पर उनकी समुद्र यात्रा के संग्रहों पर आधारित था.
जीवों का वर्गीकरण और नामकरण की मिलेगी जानकारी
हमारे ग्रह पर लाखों जीव हैं, जिन्हें साझा विशेषताओं के आधार पर समूहित किया जाता है. इस प्रक्रिया को वर्गीकरण विज्ञान कहा जाता है, जिसे कैरोलस लिनिअस ने शुरू किया था. आज के समय में आरएच व्हिटेकर का पांत जगत वर्गीकरण प्रचलित है, जिसमें मोनेरा, प्रोटिस्टा, फंजाई, वनस्पति और जन्तु जगत शामिल हैं. वर्गीकरण में पहचान, वर्गीकरण और नामकरण की प्रक्रिया शामिल है, जो जीवों को समझने में मदद करती है. इसके प्रदर्श भी गैलरी में लगे हैं.
टच स्क्रीन से ह्यूमन ओडिसी को समझना होगा आसान
ह्यूमन ओडिसी (मानव यात्रा) का अर्थ है मानवता की विकास यात्रा, जो लाखों वर्षों से चल रही है. यह यात्रा हमारे प्राचीन पूर्वजों से लेकर आधुनिक मानव तक के सफर को दर्शाती है. शुरुआती मानवों ने अफ्रीका में उत्पत्ति पाई और धीरे-धीरे अन्य महाद्वीपों में फैल गए. समय के साथ, उन्होंने शिकार, कृषि, और सभ्यता के निर्माण में प्रगति की. वैज्ञानिक और सांस्कृतिक उन्नति ने मानव समाज को नई दिशा दी.
अपने मुताबिक जीवोम की ले सकेंगे जानकारी
गैलरी में जीवोम की जानकारी के लिए एक डिजिटल स्क्रीन को प्रदर्शित किया गया है. इसमें समुद्री जीवोम, मीठे पानी का जीवोम, घास का मैदानी जीवोम, वन जीवोम, रेगिस्तानी जीवोम व टुंड्रा जीवोम के बारे में बताया गया है. अगर किसी खास का विशेष जानकारी लेना चाहते हैं तो नीचे रखे स्लाइड को अपने हिसाब से एडजस्ट कर सकते हैं.
3.8 अरब वर्ष पहले जीवन की उत्पति को समझ सकेंगे
दर्शकों को सबसे अचंभित यह प्रदर्श अचंभित कर देगी. क्योंकि, इसमें 3.8 अरब वर्ष पहले जीवन की उत्पति के बारे में जानकारी मिलेगी. इसमें प्राचीन महासागरों में जीवन का पहला प्रमाण एकल कोशिका वाले जीवों, संभवत: प्रोकैरियोट्स के रूप में दिखाई देता है. इसी तरह वायुमंडल का ऑक्सीजन, एडियाकरन बायोटा, कैम्ब्रियन विस्फोट, भूमि पर आक्रमण, टेट्रापोड्स का उदय, आदि को तस्वीरों के माध्यम से भी समझ सकेंगे. यह क्रम दो लाख साल पहले होमो सेपियंस तक आकर रूकेगी.
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