पटना: किशोर कुणाल की यात्रा एक साधारण छात्र से भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी तक की है, जो संघर्ष, समर्पण और दृढ़ निश्चय की मिसाल है। पटना विश्वविद्यालय के जैक्सन हॉस्टल में एक कमरे के ऊपर लिखा
किशोर कुणाल का उत्कृष्ट शैक्षिक सफर
मार्च 1968 में, किशोर कुणाल ने स्नातक प्रथम वर्ष की परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर के न केवल पटना विश्वविद्यालय में रिकॉर्ड बनाया, बल्कि जैक्सन हॉस्टल के सीनियर
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किशोर कुणाल की शिक्षा में एक और महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्होंने पटना कॉलेज में प्रवेश लिया। 1966 में मुजफ्फरपुर से पटना पहुंचे किशोर कुणाल को नामांकन में देरी हो चुकी थी, लेकिन महेंद्र प्रताप ने अपनी विशेष अधिकारिता का उपयोग कर उन्हें कॉलेज में प्रवेश दिलवाया। महेंद्र प्रताप के आदर्शवाद और शिक्षा के प्रति समर्पण ने कुणाल जी के जीवन में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया। उन्होंने न केवल कुणाल को कॉलेज में नामांकित किया, बल्कि उन्हें जैक्सन हॉस्टल में एक कमरा भी आवंटित किया। यही वह स्थान था, जहां से उनका आईपीएस बनने का रास्ता सुनिश्चित हुआ।
(लेखक : सुबोध कुमार नंदन)
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