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पुस्तक मौत बुलाती है, |
Patna Book Fair 2024: हमलोग मिलेनियल जेनरेशन के 80 के दशक के हैं. उस समय के पिता बहुत सख्त, पाबंद, अनुशासनबद्ध होते थे. वे गांव से निकलकर कमाई के लिए छोटे शहर जाते थे, ताकि बेहतर जिंदगी जी सकें. उनका उद्देश्य बच्चों को बेहतर जिंदगी देने का था, जिससे वे मित्रवत नजर नहीं आते. यह बातें गुरुवार को (Gandhi Maidan) गांधी मैदान में आयोजित 40वें पटना पुस्तक मेले में लेखक सत्य व्यास (Satyavyas) बोल रहे थे. इस अवसर पर पुस्तक ‘मौत बुलाती है’ का लोकार्पण किया गया. उन्होंने कहा कि अनबाउंड स्क्रिप्ट (Unbound Script) पब्लिकेशन से यह मेरी पहली किताब है. इसके पहले हिंद युग्म (Hindi Yugm) से पांच किताब आ चुकी है. उन्होंने कहा कि ‘मौत बुलाती है’ को मैंने ऑडियोबुक (Audiobook) के लिए लिखा था. इसके बाद कहा कि जबकि, कर्नल गौतम राजऋषि (Gautam Rajrishi) की ‘हैशटैग’ पर चर्चा हुई. उन्होंने युवा पीढ़ी की रील लाइफ के बारे में कहा कि वे 20 सेकंड के वीडियो भी स्किप कर देते हैं. उन्होंने बताया कि फौजियों का जीवन अपनी रचनाओं में इसलिए दिखाते हैं क्योंकि वही उनका अपना अनुभव है.
काव्य संग्रह ‘नदी और विद्रोह’ का लोकार्पण
पुस्तक मेले में मुख्य मंच पर डॉ सरिता कुमारी (Dr Sarita Kumari) द्वारा रचित काव्य संग्रह ‘नदी और विद्रोह’ का लोकार्पण भगवती प्रसाद द्विवेदी, शिवदयाल, भावना शेखर, पुष्पा जमुआर द्वारा किया गया. कार्यक्रम का संचालन अमित पराशर ने किया. इस अवसर पर भावना शेखर (Bhavna Shekhar) ने कहा कि ‘नदी और विद्रोह’ काव्य संग्रह की कविताएं मानव जीवन के विविध आयामों को छूती है. इस संग्रह की शीर्षक कविता ‘एक नदी ऊपर बहती है, नदी के नीचे भी एक नदी बहती है..’ नारी मन की अंतर्द्वंद को दर्शाता है. वरिष्ठ साहित्यकार शिवदयाल (Shivdayal) ने कहा कि इस संग्रह की सभी कविताओं को अध्यात्म व जीवन-दर्शन, वामा, प्रकृति और समय, दुनियावी, अनुराग एवं क्षणिकाएं में बांटा गया है. उन्होंने अनुराग खंड से ‘तुम्हारा आना’ कविता का पाठ किया. वहीं, इस संग्रह की कवयित्री सरिता कुमारी ने ‘देखते देखते गुजर जाएगा, यह जो साल बीत रहा है..’ का पाठ किया.
‘अथ हवेली कथा’ उपन्यास का लोकार्पण
पुस्तक मेले में भावना शेखर के रोमांचक उपन्यास ‘अथ हवेली कथा’ का लोकार्पण हुआ. डॉ संतोष दीक्षित, अवधेश प्रीत, भगवतीप्रसाद द्विवेदी और अन्य ने इस उपन्यास का विमोचन किया. लेखिका ने इसे उषा किरण खान (Usha Kiran Khan) को समर्पित किया और इसे भारतीय विरासत की झांकी बताया.
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