Photo: Google । Green House Effect
विश्व के सामने एक गंभीर समस्या है - ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन। पृथ्वी के विकास और उद्योगीकरण के कारण जीवनी शैली में आए बदलाव ने पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव डाल रहे हैं। इससे पृथ्वी की जलवायु में भी क्रमिक परिवर्तन हो रहे हैं। इस परिणामस्वरूप, ओजोन की कमी, ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में विशाल ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्र के स्तर में वृद्धि, फूलों और सब्जियों के खिलने के समय में बदलाव, सूखा, गर्मी की लहरें और आर्द्रता में वृद्धि जैसे अनेक परिणाम देखे जा रहे हैं।
ग्रीनहाउस प्रभाव, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में जमा हो जाती हैं, धरती की सतह को गर्म करती हैं और इससे ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है। वनों की कटाई, औद्योगिक गतिविधियों, विज्ञानिक प्रगति और उद्योगों के उपयोग की बढ़ती मांग ने इस समस्या को और भी घातक बना दिया है।
इस खतरे को समझते हुए, संयुक्त राष्ट्र ने जलवायु परिवर्तन पर संधि का गठन किया और कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने के लिए नीतियों को तैयार किया है। विभिन्न राष्ट्रों ने भी इस दिशा में कदम उठाए हैं।
परंतु, सार्वजनिक जागरूकता, गलत बयानी और जलवायु परिवर्तन पर संदेह रखने वालों ने इस समस्या को और भी गंभीर बना दिया है। उन्होंने वैज्ञानिक सहमति को नजरअंदाज किया है और इससे पर्यावरण पर और भारी प्रभाव पड़ने की संभावना है।
विश्व को इस समस्या से निपटने के लिए संबंधित राजनीतिक दलों और संगठनों को मिलकर कदम उठाने की आवश्यकता है। ऊर्जा संसाधनों का तर्कसंगत और सतत उपयोग, पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा स्रोतों के प्रोत्साहन, और जनता को जागरूक बनाने के लिए शिक्षा और संबंधित अभियानों का सक्रिय रूप से समर्थन किया जाना चाहिए।
ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन दुनिया भर के लिए एक खतरा है और हमारे सभी को साथ मिलकर इस समस्या को नियंत्रण में रखने के लिए संबंधित कदम उठाने की जरूरत है।
(रिपोर्ट- स्वाति रानी) |
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