Adiwasi Diwas 2023: डीएसपीएमयू ने विश्व
आदिवासी दिवस के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया। इस
महत्वपूर्ण अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. तपन कुमार शांडिल्य ने आदिवासी
समुदायों की सांस्कृतिक धरोहर और योगदान की महत्वपूर्णीयता पर बल दिया। कई प्रमुख
वक्ताओं ने आदिवासी संस्कृति की महत्वपूर्णीयता पर विचार साझा किए, जिनमें
विभिन्न राज्यों के आदिवासी संस्कृति के महत्व की बात की गई।फोटो कैप्नशन: गाड़ा बजाकर अतिथियों का स्वागत करते वीसी तपन कुमार शांडिल्य
DSPMU, Ranchi: मोरहाबादी स्थित डॉ. श्यामा
प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय
सभागार में व्याख्यान सह सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। यह आयोजन टीआरएल विभाग के
द्वारा किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समुदायों के सांस्कृतिक
धरोहर और योगदान की महत्वपूर्णीयता को उजागर करना है।
कुलपति क्या बोले?
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. तपन कुमार शांडिल्य ने बताया कि
प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाने वाला यह दिवस विभिन्न
आदिवासी समुदायों के सम्मान और उनके सांस्कृतिक धरोहर को याद करने का एक विशेष
अवसर है। आदिवासियों के पास डिजास्टर, डिफेंस और डेवलपमेंट
का अदभुत ज्ञान है। इसी प्रकार आदिवासी समाज में एक मदद करने की परंपरा है जिसे
हलमा कहते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को
संबोधित करते हुए कहा कि पूर्व के इतिहास से आदिवासियों के राष्ट्रप्रेम और इस
प्रेम में दिए गये उनके अनोखे बलिदान को याद किया जाए।
झारखंड में आदिवासी दिवस का अत्यधिक महत्व
विश्वविद्यालय के प्रो. डॉ. अभय सागर मिंज ने बताया कि विश्व आदिवासी दिवस पर
झारखंड राज्य की महत्ता अत्यधिक है। झारखंड आदिवासी संस्कृति और धरोहर का अद्भुत
संग्रहण स्थल है, जो समृद्ध जनजातियों की अनमोल विरासत को
प्रकट करता है। विभिन्न कार्यक्रमों और विचार-विमर्शों के माध्यम से झारखंड इसे गर्व
से मनाता है और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करता है। वहीं, डॉ. जिंदर सिंह मुंडा ने
इस अवसर पर अपने व्याख्यान में इस दिवस के प्रासंगिकता का उल्लेख किया। डॉ. पीपी
महतो ने भी मौके पर अपना व्याख्यान दिया।
संगीत व नृत्य से संस्कृति की प्रस्तुति
बता दें कि, द्वीप प्रज्वल्लन कर कार्यक्रम का उदघाटन किया गया। इसके बाद टीआरएल
विभाग के समन्वयक डॉ. विनोद कुमार अतिथियों का
स्वागत करते हुए विस्तार से विश्व आदिवासी दिवस पर चर्चा की। इसके बाद सांस्कृतिक
कार्यक्रमों से विद्यार्थियों के द्वारा संगीतमय कुडुख और नागपुरी नृत्य प्रस्तुत
किया गया। वहीं, विभाग के शिक्षक डॉ. योगेश महतो और डुमिनी माई मुर्मू द्वारा एकल
नागपुरी और संताली गीत प्रस्तुत किया गया। बी एकल खोरठा गीत सुशीला कुमारी प्रस्तुत
कीं। प्रो. रामदास उरांव धन्यवाद ज्ञापन और जय किशोर मंगल व डॉ. डुमिनी माई मुर्मू
ने मंच संचालन कीं। यह जानकारी पीआरओ प्रो. राजेश कुमार सिंह ने दी।
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