- डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक भाषा, एक संस्कृति और भारत की अखंडता के प्रयाय थे: वीसी तपन कुमार शांडिल्य
DSPMU: विख्यात शिक्षाविद और चिंतक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी, एक भारतीय अखंडता और राष्ट्रीयता को बढ़ावा देने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाए. शुक्रवार को डीएसपीएमयू में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की
पुण्यतिथि को मनाया गया. जिसमें उनके अद्भुत जीवन और योगदानों की स्मृति की गई.
चलिए, हम उनके व्यक्तित्व के महत्वपूर्ण
पहलुओं और उनकी चिरस्थायी विरासत के बारे में विस्तार से जानते हैं.
प्रारंभिक वर्ष और शैक्षिक सफलता
डॉ श्यामा
प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई, 1901 को कोलकाता में हुआ था. उन्होंने अपनी
बुद्धिमत्ता की कड़ी से प्रदर्शन किया. बता दें कि, 33 वर्ष (सन् 1934) की आयु में कोलकाता
विश्वविद्यालय के कुलपति बनने के साथ उन्होंने अपनी अपार प्रतिभा की पहचान बनाई.
वे देश की एकता पर विश्वास करते थे और एक राष्ट्र, एक विधान के सिद्धांत के साथ जुड़े रहने की बात कहते थे.
डॉ
श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ नामक पार्टी की स्थापना की, जो उनके राजनीतिक जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना थी.
राष्ट्रीय और सामाजिक संघर्ष
मौके पर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने राष्ट्रीय और सामाजिक संघर्ष के
माध्यम से अपार महत्वपूर्ण योगदान दिया. 8 मई 1953 को उन्होंने बगैर किसी अनुमति के
कश्मीर की यात्रा प्रारंभ की. जिससे उन्हें “एक देश में दो विधान, दो निशान, दो प्रधान नहीं चलेंगे” का नारा मिला. उनके विलक्षण
प्रतिभा के विषय में बात करें तो उनका विचार था कि हम सभी में कोई अंतर नहीं है.
हम सभी एक ही रक्त के हैं, एक ही भाषा, एक ही संस्कृति और एक ही हमारी विरासत है.
भारतीय जनसंघ की स्थापना
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर सभी शिक्षकों और कर्मचारियों ने उनकी
चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई. इस अवसर पर कुलसचिव डॉ नमिता सिंह, वित्त पदाधिकारी डॉ आनंद कुमार मिश्र, प्रियांश कुमार और अन्य शिक्षक, कर्मचारी और छात्र मौजूद थे. उन्होंने कहा कि, डॉ श्यामा
प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि के अवसर पर
हम उनकी महानता को याद करते हैं और
उनके योगदान को सलाम करते हैं. उन्होंने देश की एकता, भाषा, संस्कृति और अखंडता के लिए संघर्ष
किया और हमारे राष्ट्रीयता के प्रतीक के रूप में उभरे. उनकी प्रेरणा से हमें एकजुट
होकर देश की विकास और समृद्धि की ओर बढ़ना चाहिए.
(रिपोर्ट- प्राची तिवारी)
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