Food Vlogger Nitish and Cuisine Success Story: इंटरनेट में ऐसी ताकत है
कि किसी का भी उत्थान कभी भी करा सकती है। ऐसा ही कहानी है झारखंड के फूड व्लॉगर
नितीश कुमार की। जिन्होंने यूट्यूब के जरिए न केवल झारखंड में बल्कि, विदेशों में भी अपनी
पहचान बना ली है। गुमला जिले के छोटे गांव के रहने वाले नीतिश आज यूट्यूबर हैं. वह
नीतीश एंड कुजिन (Nitish and Cuisine) नाम के चैनल चलाते हैं। इसके जरिए वह झारखंड के
लोकप्रिय व्यंजन का स्वाद लोगों तक पहुंचाते हैं।
पिता करते थे पान की गुमटी में काम
बता दें कि, नीतिश का पूरा जीवन संघर्षों में बीता है। जब वह तीन वर्ष के थे तो उनके पिताजी पान की गुमटी या रेजा में काम करते थे। जो भी काम मिलता वह कर लेते थे। फिर जब थोड़े पैसे जमा हो गए तो प्लास्टिक का तिरपाल से झोपड़ी बनाकर होटल खोले। जहां दाल, चावल व सब्जी खिलाने का काम करते थे। बचपन से ही नीतिश की रूचि पढ़ाई में रही है। अपने मेहनत के बलबूते 10वीं कक्षा में जिला टॉपर बने। सबकुछ ठीक चल ही रहा था तब तक उनके पिता की दोनों किडनी फेल हो गई और साल 2012 में निधन। लेकिन, नीतिश कभी हिम्मत नहीं हारे। यही वजह था कि रांची से बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) तक सफर तय किये।
पढ़ाई को देते हैं ज्यादा महत्व
दरअसल, रांची के संत जेवियर कॉलेज से नीतिश इंग्लिश लिटरेचर में बैचलर किया है और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से मास्टर इन इंग्लिश लिटरेचर किया है। इसके बाद बी.एड. किया और रांची के पुरुलिया रोड स्थित संता अलॉयीस स्कूल में पढ़ाने का भी काम किया। अब भी वह पढ़ाई में उतना ही ध्यान देते हैं जितना व्लॉगिंग में।
शुरूआत में खाने के ऑडर के लिए पैसे नहीं होते
नीतिश बताते हैं कि, पढ़ाई चल रही था लेकिन लॉकडाउन ने घर में बिठा दिया। जहां दोस्तों व भाई के साथ सलाह कर यूट्यूब चैनल बनाया और फूड व्लॉगिंग शुरू की। शुरूआत में तो जब रांची की सड़कों पर वीडियो बनाने निकलता तो लोग हंसते थे, मजाक बनाते थे। कई बार रेस्टोरेंट में वीडियो बनाने जाता तो खाने के ऑडर के लिए पैसे नहीं होते थे। न अच्छा फोन न कैमरे होते लेकिन लोगों की प्यार ने सफल बना दिया। उस वक्त तो लगता था किसी तरह 1000 सब्सक्राइबर पूरे हो जाये। लेकिन, कब एक लाख पूरे हो गये पता भी नहीं चला। आज बच्चे पढ़ाई छोड़कर यूट्यूब चैनल बना रहे हैं जो उचित नहीं है। हर क्षेत्र में शिक्षा का महत्व है। पहले पढ़ाई करना चाहिए।
पिता करते थे पान की गुमटी में काम
बता दें कि, नीतिश का पूरा जीवन संघर्षों में बीता है। जब वह तीन वर्ष के थे तो उनके पिताजी पान की गुमटी या रेजा में काम करते थे। जो भी काम मिलता वह कर लेते थे। फिर जब थोड़े पैसे जमा हो गए तो प्लास्टिक का तिरपाल से झोपड़ी बनाकर होटल खोले। जहां दाल, चावल व सब्जी खिलाने का काम करते थे। बचपन से ही नीतिश की रूचि पढ़ाई में रही है। अपने मेहनत के बलबूते 10वीं कक्षा में जिला टॉपर बने। सबकुछ ठीक चल ही रहा था तब तक उनके पिता की दोनों किडनी फेल हो गई और साल 2012 में निधन। लेकिन, नीतिश कभी हिम्मत नहीं हारे। यही वजह था कि रांची से बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) तक सफर तय किये।
पढ़ाई को देते हैं ज्यादा महत्व
दरअसल, रांची के संत जेवियर कॉलेज से नीतिश इंग्लिश लिटरेचर में बैचलर किया है और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से मास्टर इन इंग्लिश लिटरेचर किया है। इसके बाद बी.एड. किया और रांची के पुरुलिया रोड स्थित संता अलॉयीस स्कूल में पढ़ाने का भी काम किया। अब भी वह पढ़ाई में उतना ही ध्यान देते हैं जितना व्लॉगिंग में।
शुरूआत में खाने के ऑडर के लिए पैसे नहीं होते
नीतिश बताते हैं कि, पढ़ाई चल रही था लेकिन लॉकडाउन ने घर में बिठा दिया। जहां दोस्तों व भाई के साथ सलाह कर यूट्यूब चैनल बनाया और फूड व्लॉगिंग शुरू की। शुरूआत में तो जब रांची की सड़कों पर वीडियो बनाने निकलता तो लोग हंसते थे, मजाक बनाते थे। कई बार रेस्टोरेंट में वीडियो बनाने जाता तो खाने के ऑडर के लिए पैसे नहीं होते थे। न अच्छा फोन न कैमरे होते लेकिन लोगों की प्यार ने सफल बना दिया। उस वक्त तो लगता था किसी तरह 1000 सब्सक्राइबर पूरे हो जाये। लेकिन, कब एक लाख पूरे हो गये पता भी नहीं चला। आज बच्चे पढ़ाई छोड़कर यूट्यूब चैनल बना रहे हैं जो उचित नहीं है। हर क्षेत्र में शिक्षा का महत्व है। पहले पढ़ाई करना चाहिए।
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