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फोटो कैप्शन: अलबर्ट एक्का चौक पर मौन मार्च करते विश्वविद्यालय शिक्षक |
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ये है छुट्टी का पूरा मामला
बता दें कि, झारखंड के विश्वविद्यालयों में गर्मी की छुट्टी 27 दिन से एक महीने के बीच होती थी.
परंतु, राज्यपाल
सी.पी. राधाकृष्णन के निर्देश पर 20 दिन छुट्टी मिलेगी. इसी प्रकार अन्य
छुटिट्यों में भी कटौती की गई है. कई पर्व-त्योहारों पर भी
छुट्टियों के दिन घटाए गए हैं. हालांकि, इस फैसले में आरयू के वीसी प्रो. अजीत
कुमार सिन्हा, डीएसपीएमय के वीसी प्रो. तपन कुमार शांडिल्य समेत अन्य विवि अधिकारियों
ने सहमति जताई थी. लेकिन, विवि शिक्षक
ने इसपर विरोध जताते हुए कुलपति को मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा. शिक्षकों का कहना है कि यूजीसी की गाइडलाइन
के अनुसार विश्वविद्यालयों में 180 दिन पढ़ाई होनी चाहिए. अब तक जो व्यवस्था लागू है, उसमें 225 दिनों की पढ़ाई का कैलेंडर लागू है.
इसके लिए वे सभी आज मार्च निकाले.
छात्रों को भी हो
सकती है परेशानी
इस मौके पर डीएसपीएमयू के शिक्षक डॉ. विनय भरत ने कहा कि इस मामले पर छात्रों की राय
को भी समझना होगा. क्योंकि, ज्यादातर छात्र गांव से आते हैं. कई तो रांची में ही रहकर
पढ़ाई करते हैं. अभी के मौसम से स्वास्थ्य संबंधित कई समस्या हो रही है, पानी की
किल्लत है. इससे छात्रों को परेशानी हो सकती है. इसके बावजूद उन्हें परीक्षा की
तैयारी करने, समर इंटर्नशिप जैसे कई कार्यों के लिए समय मिल जाती है. साथ ही
शिक्षक भी इस दौरान रिसर्च करते हैं. उन्हें चिंतन, मनन व अध्ययन करने का समय मिल
जाती है. तो इन सभी चीजों पर असर पड़ेगा. इसलिए, हम सभी राजभवन के निर्णय के खिलाफ
हैं.
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फोटो कैप्शन- छुट्टी के निर्णय को वापस लेने की मांग करते शिक्षक |
रांची विवि के शिक्षक डॉ. कंजीव लोचन बताते हैं कि छात्रों के लिए यह निर्णय शहादत के जैसा है. न गर्मी का, न शिक्षकों का, न ही छात्रों का ध्यान रखा गया है. शनिवार को विश्वविद्यालय में एक छात्रा बेहोश होकर गिर गयी. उसके नाक से खून भी निकलने लगे. हमारा रेगुलेशन भी छुट्टी के खिलाफ है. राज्यपाल हमारे अभिभावक और कुलाधिपति हैं. राजभवन से छुट्टी के निर्णय पर समर्थन मिला है. लेकिन, महामहिम नये आए हैं तो उन्हें सभी परिस्थियों की जानकारी नहीं होगी. ऐसे हम प्रयास कर रहे हैं कि वे अपने निर्णय को वापस ले लें. इसलिए, हम आज मौन मार्च निकाले हैं. सोमवार से आंदोलन प्रचंड हो सकता है.
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