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फाइल फोटो: कभी
ऑर्केस्ट्रा में पैसे देकर अपना गाना बजवाने वाले खेसारी लाल यादव आज करोड़ों में
खेल रहे हैं. |
Khesari Lal Yadav News: अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो सारी कायनात उसे तुम से मिलाने में लग जाती है. फिल्म ‘ओम शांति ओम’ का यह डायलॉग आपने जरुर सुना होगा. यह डायलॉग आपके सामने इसलिए रख रहे हैं क्योंकि, अगर आप ये ठान लेते हैं कि अपने मुकाम को जरूर हासिल कर लेंगे तो परिस्थिति कैसी भी हो आपका सपना सच हो जाता है.
दरअसल, इस कहावत को असल में सच कर दिखाया है एक गरीब परिवार में
जन्मे भोजपुरी अभिनेता खेसारी लाल यादव (Khesari Lal Yadav)
ने। कहा जाता है कि उन्होंने दूध और लिट्टी-चोखा बेचने से लेकर भैंस चराने तक काम
किया. लेकिन, म्यूजिक से जुड़ा काम कभी नहीं छोड़ा जो उनका
पैशन रहा. और उनके इसी पैशन ने उन्हें भोजपुरी सिनेमा का सुपरस्टार बना दिया है.
तो आइए जानते हैं उनका जीवन संघर्ष और उनके भोजपुरी सिनेमा का सुपरस्टार बनने की
कहानी..
सात साल की उम्र में दूध बेचते थे खेसारी
बता दें कि, खेसारी लाल यादव (Khesari
Lal Yadav) बिहार के रसूलपुर चट्टी गांव के रहने वाले हैं. और उनका
बचपन का नाम शत्रुघ्न यादव है. खेसारी लाल यादव (Khesari Lal Yadav) का संघर्ष उनके बचपन से ही शुरू हो गया था. उनके पिता दिन में चने बेचते और रात में
सिक्योरिटी गार्ड का काम करते थे. परिवार की दयनीय आर्थिक स्थिति के बीच खेसारी
लाल ने सात वर्ष की उम्र में ही दूध बेचना और भैंसों को चराना शुरू कर दिया. इन
सभी कार्यों के साथ खेसारी लाल को बचपन से ही म्यूजिक में बहुत रूचि रही. छुटपने
में ही खेसारी लाल गांव में रामायण और महाभारत सुना करते थे और उसे लयबद्ध कर गाया
करते थे. बचपन में पढ़ाई के साथ ही वे रात को प्रोग्राम किया करते थे. इन दिनों
कार्यक्रमों में गाने के लिए उन्हें 10-20 रूपये मिलते थे.
साइकिल चलाकर बेचते थे अपना कैसेट्स
खेसारी बताते हैं कि शुरुआती दिनों में उनका जीवन दिक्कतों से भरा रहा. थोड़े दिनों
बाद जब उनकी शादी हुई तो वे अपनी पत्नी के साथ दिल्ली में लिट्टी-चोखा बेचने लगे.
एक झोपड़ी में रहकर यह व्यापार उन्होंने शुरू किया था. फिर जब उनके पास कुछ पैसे
जमा हुए तो उन्होंने एक गाना गाया. उन दिनों कैसेटस का जमाना हुआ करता. जब भी उनका
कोई कैसेटस रिलीज़ होता तो वे अपने कैसेट और गाने का प्रचार साइकिल चलाकर किया करते
थे. शुरुआती दिनों में उनके गाने फ्लॉप रहे. फिर भी अपने काम को उन्होंने नहीं
छोड़ा. कुछ दिनों बाद फिर खेसारी ने एक गाना गाया जिसे थोड़ा-बहुत लोगों ने प्यार
दिया.
पैसे देकर ऑर्केस्ट्रा में बजवाते थे अपना गाना
गौरतलब है कि गांव में कोई कार्यक्रम होता तो वे ऑर्केस्ट्रा वालों को 10-20 रूपये देकर अपना गाना बजवाते.
ताकि कुछ लोग उन्हें जान सके. इस तरह वे अपने प्रोजेक्ट पर काम करते गए. और एक दिन
ऐसा आया जब उनका एलबम हिट होने लगा. उनके गीत लोगों की जुबां पर चढ़ने लगे. जब
खेसारी का गाना हिट होने लगा तो उनकी पहली
फिल्म अलोक सिंह के देखरेख में बनी. इस
फिल्म का नाम था साजन चले ससुराल. इसमें अभिनेत्री के रूप में थी उनके साथ थी
अदाकारा स्मृति सिन्हा. खेसारी लाल कहते हैं कि पहली फिल्म से पहले उन्हें अच्छे
से डांस करना भी नहीं आता था और न ही फिल्म के संबंध में उन्हें जानकारी थी. फ़िल्म
शूटिंग के करीब पांच दिन पहले उन्होंने फाइट करना सीखा था. खेसारी की यह पहली
फिल्म लोगों के दिलों को छू गयी. इससे फिल्म इंडस्ट्री में उनका जीवन शुरू हुआ.
लगातार उनकी तीन फिल्में सिल्वर जुबली भी हुई जो बड़ी उपलब्धि है. कई सिनेमाघरों
में 30 सप्ताह से भी ज्यादा दिनों तक उनकी फिल्म चलती रही.
इसके बाद खेसारी लाल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
इस जोड़ी को दर्शकों ने दिया बेहद
प्यार
खेसारी लाल यादव (Khesari Lal
Yadav) न के केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी उन्होंने फिल्मों
की शूटिंग की और लाइव गाने भी गाये. काजल राघवानी (Kajal Raghwani) के साथ उनकी जोड़ी को दर्शकों ने बेहद पसंद किया और दोनों एक साथ कई
फिल्मों में नजर आये. समय के साथ खेसारी लाल ने खुद को अपडेट
किया और अब वे भोजपुरी के एक मंजे कलाकार हैं. उनकी ख्याति
का ग्राफ दिनोंदिन चढ़ रहा है और कभी लिट्टी चोखा बेचनेवाले खेसारीलाल आज करोड़ों
में खेल रहे हैं.
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