बता दें, रहमूल
के पिताजी ने बताया कि अब तक रहमूल ने अनाज का एक दाना तक नहीं खाया. वहीं,
उन्होंने यह भी बताया कि न सिर्फ़ खाने में बल्कि बोलने में भी मरीज़ को काफ़ी
दिक़्क़तों का सामना करना पर रहा था. साथ ही रहमूल का चेहरा भी विकृत हो गया था. परंतु,
इलाज को लेकर मरीज़ के परिजन कई दिनों तक अस्पतालों के चक्कर काटते रहे. बीमारी की
गंभीरता और सर्जरी की जटिलता को देखते हुए इनका इलाज नहीं हो पाया.
गौरतलब है कि फ़रवरी
02 को हेल्थ पॉइंट हॉस्पिटल में मैक्सिलोफ़ेशियल सर्जन डॉ० अनुज की टीम द्वारा
रहमूल की सर्जरी की गई जिसके बाद अंततः २० वर्षों के बाद मरीज़ अपने मुंह को खोल
पाने में सक्षम हुए. मामले की जानकारी देते हुए डॉ० अनुज ने बताया की
टेम्पोरोमेंडीबुलर जॉइंट ऐंकलोसिस की न सिर्फ़ सर्जरी जटिल होती है बल्कि ऐसे
मामलों में मुंह बंद होने के कारण एनेस्थीसिया देना भी काफ़ी मुश्किल का काम होता
है.
मौके पर एनेस्थेटिस्ट
डॉ० ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया की इस मरीज़ के लिए विशेष तौर पर फ़ाइबरऑप्टिक
लैरिंगोस्कोप मंगवाया गया जिसके बाद मरीज़ को एनेस्थीसिया दिया गया. साथ ही ऐंकलोसिस
के कारण मरीज़ का नीचे के जबड़ा दोनों तरफ़ उसके खोपड़ी के हड्डी से पूरी तरह से
जुड़ी हुई थी. क़रीब 5
घंटे तक चले इस ऑपरेशन में नीचे के जबड़े को दोनों तरफ़ खोपड़ी की हड्डी से अलग
किया गया और उसके पश्चात चेहरे की विकृति को भी ठीक किया गया. इस टीम में डॉ अनुज,
डॉ ओपी श्रीवास्तव, डॉ राजेश रौशन और हेल्थ
पॉइंट ओटी टीम के सदस्य थे.
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