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Google Lens का उपयोग कर तस्वीरों के सही व गलत होने की गुर सीखे SJMC के छात्र, Misinformation के बारे में भी जानकारी प्राप्त की!

विद्यार्थियों को जानकारी देते मीडिया एडुकेटर संजय पाण्डेय

Jharkhand News: वर्तमान घड़ी में लोग सबसे ज्यादा इंटरनेट से मिल रही गलत जानकारी का शिकार हो रहे हैं. इस चीज़ से सभी परिचित होंगे. इसके बचाव के लिए आपको यह जान लेना चाहिए कि आपके लिए कौन-सी सूचना सही है या गलत. ऐसे में रांची स्थित डॉo श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग (एसजेएमसी) में फॅक्टशाला इंडिया मीडिया लिटरेसी नेटवर्क द्वारा कार्यशाला का आयोजन बीते गुरुवार के दिन किया गया. जिसमें एसजेएमसी के कई विद्यार्थी शामिल हुए. इस दौरान मीडिया एडुकेटर संजय कुमार पाण्डेय ने कहा जर्नलिज्म एंड मॉस कम्युनिकेशन के छात्र-छात्राओं को मिसइन्फॉर्मेशन और डिसइन्फॉर्मेशन के बारे में विशेष रूप से पता होनी चाहिए.

उन्होंने विद्यार्थियों को यह जानकारी देते हुए बताया कि मिसइन्फॉर्मेशन यानि झूठी खबर, जो एक हेरफेर की गई सूचना या जानकारी होती है. हालांकि, इन ख़बरों को जिस व्यक्ति के साथ साझा किया जाता है वह पूरी तरह अंजन होता है कि सूचना में फेरबदल की गई है. ठीक उसी तरह से डिसइन्फॉर्मेशन यानि दुष्प्रचार. इसका प्रयोग धोखा व गुमराह करने के इरादे से साझा की गई जानकारी होती है. इसमें भी साझा करने वाला व्यक्ति जानता है कि वह गलत खबर है. लेकिन प्राप्तकर्ता ठीक इसके विपरीत होते हैं. ऐसे में हमें हमेशा सजग रहनी चाहिए.

बता दें, संजय पांडेय ने कहा कि आज झूठी खबर या फेक न्यूज को लोगों तक सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यम से पहुंचाया जा रहा है. इससे बचने के लिए हम सभी को सतर्क होने की जरूरत है. विशेषकर जो लोग मीडिया कार्य से जुड़ने वाले हैं, अध्यन कर रहे हैं उन्हें जानकारी रखनी जरूरी है. फेक न्यूज की पहचान करना बहुत जरूरी है ताकि लोग सच और झूठ के अंतर को जान सकें. ऐसी सूचना जिससे समाज व देश को नुकसान हो किसी भी हालत में शेयर नहीं करने के लिए सभी को जागरूक करने की जरूरत है. साथ ही लोगों को ऐसे मैसेज को तत्काल डिलीट करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा. वहीं, फेक न्यूज़ के पहचान की बात करें तो केवल हेडिंग से पता लगाया जा सकता है.

गौरतलब है कि कई बार हमें ऐसे फोटो भी प्राप्त होती जिसका सच्चाई से कोई परस्पर संबंध नहीं होता. इसलिए अगर आपके पास भी कोई ऐसे तस्वीर आती है तो उसका फैक्ट चेक करें. उसको पहले परख लें तब ही दूसरों के बीच साझा करें. फेक न्यूज़ और फ़ोटो को गूगल रिवर्स इमेज टूल के माध्यम से हम आसानी से जांच सकते हैं. इसके लिए फोटो गुगल रिवर्स इमेज पर अपलोड करना होगा. इसी प्रकार अगर आपके पास कोई खबर आई है तो उस खबर के प्रमुख शब्द को गूगल के सर्च इंजन पर डालकर हम सर्च करेंगे तो हमें यह भी पता चल जाएगा कि यह खबर कितनी सच है या झूठ है. इस तरह संजय पाण्डेय ने एसजेएमसी के विद्यार्थियों को गूगल लेंस का उपयोग किस तरह से करें इसकी जानकारी दी.

In English:
Factshala trainer cum Dr Shyama Prasad Mukherjee University
, Ranchi’s School of Journalism and mass communication department assistant professor Sanjay Pandey trained as many as 50 students of sjmc on Thursday during a virtual workshop on identifying fake news. He explained the difference between information, misinformation and disinformation. Also, he spoke on manipulation of content, images, social media and propaganda. The relevance of traditional, social media and mobile applications were highlighted in spreading fake and authentic news stories. Breakdown of trusted media sources leads to factual news verification. False information can cost life, he added. The list of students included batches of BJMC respectively. 

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