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मीडिया को जानकारी देते अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के सदस्य |
ये भी देखें- https://youtu.be/7nZ8tyyOMSk
फार्मासिस्ट की वेतन भी निर्धारित
नहीं
झारखंड राज्य बने 22 साल हो गया है लेकिन अभी तक राज्य में
फार्मासिस्ट की स्थाई नियुक्ति नहीं हुई, ज्यादातर सरकारी दवा वितरण केंद्र पर आउटसोर्सिंग
फार्मासिस्ट से काम कराई जा रहा है. साथ ही फार्मासिस्ट की वेतन भी निर्धारित नहीं
है इस वजह से फार्मासिस्ट को बहुत कम वेतनमान पर काम कराया जा रहा है. कई सरकारी
अस्पताल में भी ANM से दवा का वितरण किया जा रहा
है.
फार्मसी कालेजों में पैसा दीजिए और
सर्टिफिकेट लीजिए का चल रहा खेल
प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शर्मा ने कहा कि झारखंड में 52
फार्मेसी कॉलेज का संचालन हो रहा है. अगर सही रूप से देखेंगे तो एकमात्र सरकारी
फार्मेसी कालेज बरियातू में पढ़ाई होती है. बाकी सब के सब कालेजों में पैसा दीजिए
और सर्टिफिकेट लीजिएगा का खेल चल रहा है. डिप्लोमा इन फार्मेसी के एग्जाम दिए हुए
छात्रों में से 80% छात्र फेल हो रहे हैं. खबर की आड़ में फार्मेसी कॉलेज द्वारा
पास कराने के नाम पर पैसा लिया जा रहा है. पिछले बार भी इसी तरीके से बहुत से फेल
छात्रों को रिजल्ट आउट होने के बाद भी पास करवाया गया था.
दूसरे राज्य के फर्जी निबंधन पर चल
रहा है दवा दुकान
एसोसिएशन ने कहा झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल का गठन हुए 4
साल हो गया है और 15 नवंबर 2021 से स्टेट फार्मेसी काउंसिल का कामकाज ऑनलाइन हो
गया है लेकिन अभी भी झारखंड में बहुत सारे दवा दुकान दूसरे राज्य के फर्जी निबंधन
पर चल रहा है. फार्मेसी एक्ट के तहत झारखंड राज्य में कार्यरत सरकारी हो या किसी
भी तरह का प्राइवेट संस्था में कार्यरत, सभी फार्मासिस्ट
का झारखंड राज्य के फार्मेसी काउंसिल में निबंधन होना अनिवार्य है. लेकिन झारखंड
राज्य में औषधि विभाग और फार्मेसी काउंसिल की मिलीभगत से इस एक्ट का खुलेआम
उल्लंघन हो रहा है.
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