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पैसे लेकर दिया जा रहा है सर्टिफिकेट; एसोसिएशन ने कहा फार्मेसी के क्षेत्र में हो रहा सबसे अधिक भ्रष्टाचार, नियमों का भी हो रहा उल्लंघन

मीडिया को जानकारी देते अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के सदस्य

Jharkhand News: अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के द्वारा बीते शुक्रवार को रांची प्रेस क्लब में  प्रेस मीट का आयोजन किया गया. बता दें, इसके प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शर्मा ने कहा कि आज सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार कहीं है तो फार्मेसी के क्षेत्र में है. सबसे ज्यादा दोहन भी फार्मासिस्ट का होता है. उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन के एक मंतव्य पर प्रकाश डाला, कहा कि गांव- गांव में दवा दुकान खोली जाएगी और 10वीं पास से दवा बंटवाई जाएगी. इस व्यवस्था से समझा जा सकता है कि ग्रामीणों के स्वास्थ्य का क्या हाल होगा. उन्होंने सीएम के इस पहल की सराहना की, लेकिन कहा कि आप फार्मासिस्ट द्वारा दवा बंटवाएं.

ये भी देखें- https://youtu.be/7nZ8tyyOMSk

फार्मासिस्ट की वेतन भी निर्धारित नहीं
झारखंड राज्य बने 22 साल हो गया है लेकिन अभी तक राज्य में फार्मासिस्ट की स्थाई नियुक्ति नहीं हुई, ज्यादातर सरकारी दवा वितरण केंद्र पर आउटसोर्सिंग फार्मासिस्ट से काम कराई जा रहा है. साथ ही फार्मासिस्ट की वेतन भी निर्धारित नहीं है इस वजह से फार्मासिस्ट को बहुत कम वेतनमान पर काम कराया जा रहा है.  कई  सरकारी अस्पताल में भी ANM से दवा का वितरण किया जा रहा है.

फार्मसी कालेजों में पैसा दीजिए और सर्टिफिकेट लीजिए का चल रहा खेल
प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शर्मा ने कहा कि झारखंड में 52 फार्मेसी कॉलेज का संचालन हो रहा है. अगर सही रूप से देखेंगे तो एकमात्र सरकारी फार्मेसी कालेज बरियातू में पढ़ाई होती है. बाकी सब के सब कालेजों में पैसा दीजिए और सर्टिफिकेट लीजिएगा का खेल चल रहा है. डिप्लोमा इन फार्मेसी के एग्जाम दिए हुए छात्रों में से 80% छात्र फेल हो रहे हैं. खबर की आड़ में फार्मेसी कॉलेज द्वारा पास कराने के नाम पर पैसा लिया जा रहा है. पिछले बार भी इसी तरीके से बहुत से फेल छात्रों को रिजल्ट आउट होने के बाद भी पास करवाया गया था.

दूसरे राज्य के फर्जी निबंधन पर चल रहा है दवा दुकान
एसोसिएशन ने कहा झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल का गठन हुए 4 साल हो गया है और 15 नवंबर 2021 से स्टेट फार्मेसी काउंसिल का कामकाज ऑनलाइन हो गया है लेकिन अभी भी झारखंड में बहुत सारे दवा दुकान दूसरे राज्य के फर्जी निबंधन पर चल रहा है. फार्मेसी एक्ट के तहत झारखंड राज्य में कार्यरत सरकारी हो या किसी भी तरह का प्राइवेट संस्था में कार्यरत, सभी फार्मासिस्ट का झारखंड राज्य के फार्मेसी काउंसिल में निबंधन होना अनिवार्य है. लेकिन झारखंड राज्य में औषधि विभाग और फार्मेसी काउंसिल की मिलीभगत से इस एक्ट का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है.

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