जब भी बढ़ती प्रदूषण की बातें हमें सुनने को मिलती है. वह बेहद ही चिंता का विषय बन जाता है. लेकिन कभी हमने इसपर रोकथाम लगाने व कम करने की कोशिश नहीं करते हैं. लिहाजा इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर जाता है. वहीं, कई इससे होने वाली बिमारियों से भी ग्रसित होते हैं. लोग पर्यावरण दिवस के दिन तरह-तरह की बातें करते हैं. लेकिन क्या वो हम अपने दैनिक जीवन में उतार पाते हैं? ये सवाल कभी आपने किया है? हम अपने आस-पड़ोस में न पेड़-पौधे लगाते हैं न ही वाहन व प्लास्टिक का प्रयोग कम करते हैं. अगर यह सवाल हम अपने आप से किए होते तो हमें कोई परेशानी नहीं होती.
दरअसल, दिल्ली एक बार
फिर प्रदूषण से कराह रहा है. यहां के
जहरीली हवा से लोगों की सांसें फिर उखड़ने लगी हैं. आंकड़ों के मुताबिक़, एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 445 तक पहुंच चुका है यानी 'बेहद गंभीर' कैटेगरी में है. इससे बचाव के लिए
दिल्ली सरकार एक बड़ी पहल ले ली है. उस पहल में क्या है, शहर
के 5वीं तक के सभी स्कूल बंद कर दिए हैं. सरकारी व निजी दफ्तरों में 50%
कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम के लिए कहा गया है. सभी कमर्शियल निर्माण रोक दिए
गए हैं. डीजल कारों व ट्रकों पर पाबंदी लगा दी गई है. बाजार व दफ्तरों के समय में
भी बदलाव की तैयारी है. हालांकि, ईवी और सीएनजी वाहन चलते
रहेंगे. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इन अहम
फैसलों की घोषणा की.
हवा बिगड़ते ही दिल्ली की सियासत
बढ़ी
- दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना ने पंजाब के सीएम भगवंत मान को चिट्ठी लिखकर कहा-
पंजाब में इस साल 24 अक्टूबर से 21 नवंबर के बीच 19 प्रतिशत ज्यादा पराली जलाई गई.
रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.
- सीएम भगवंत मान ने जवाब में कहा दिल्ली में चुनी हुई सरकार के कामों को रोक रहे हैं और मुझे चिट्ठी लिखकर राजनीति कर रहे हैं. इस विषय पर राजनीति ठीक नहीं.
प्रदूषण की वजह से दुनिया में औसत
उम्र 2 साल कम
बढ़ती प्रदूषण की वजह से न केवल परेशानी हो रही है. बल्कि, दुनियाभर
के लोगों की औसत उम्र 2.2 साल घट गई है. इसका सिर्फ एक वजह है दूषित हवा में सांस
लेना. बता दें, 117 देशों के 6 हजार से ज्यादा शहरों में
प्रदूषण मापने की मशीनें लगी हैं, फिर भी इन शहरों के लोग शुद्ध
हवा को तरस रहे हैं. शिकागो यूनिवर्सिटी द्वारा हाल ही में जारी किए गए. दिल्ली
एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि द लैंसेट की स्टडी के
अनुसार, एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स के मुताबिक, प्रदूषित हवा से सिर्फ सांस संबंधी बीमारियां यदि भारत के लोगों को शुद्ध
हवा मिले तो उनकी औसत उम्र 5 साल तक बढ़ सकती.
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