वहीं, पार्टी के प्रदेश कार्यालय में हुई प्रेस वार्ता में मरांडी ने कहा, आदिवासी होने का मतलब यह नहीं कि हेमंत सोरेन को झारखंड लूटने का लाइसेंस
मिल गया है. बिचौलियों और दलालों के साथ मिलकर उन्होंने गलत काम किया है, तो उसका जवाब भी उन्हें ही देना पड़ेगा. क्योंकि, भारत
में सभी के लिए समान कानून है. इसलिए, मुख्यमंत्री हेमंत
सोरेन भी कानून का पालन करें, उनकी मनमर्जी बहुत दिनों तक
नहीं चलेगी. केंद्रीय एजेंसियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी पूछताछ कर चुकी
हैं. लालकृष्ण आडवाणी ने तो आरोप लगने के बाद यह कहते हुए लोकसभा की सदस्यता से
त्यागपत्र दे दिया था कि जब तक वे आरोप मुक्त नहीं हो जाते, चुनाव नहीं लड़ेंगे.
बरियातू के जमीन घोटाले का दिया था
सबूत
प्रेस वार्ता के दौरान बाबूलाल मरांडी ने कहा, बरियातू में सेना की जिस जमीन के घोटाले को लेकर ईडी ने छापामारी की है,
उन्होंने सबूत के तौर पर उसका दस्तावेज जून व अगस्त में सरकार को
सौंपा था, फिर भी कार्रवाई नहीं हुई. इस जमीन घोटाले में
शामिल आईएएस छवि रंजन पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें महत्वपूर्ण पद पर बैठा दिया
गया. इसकी जांच आगे बढ़ेगी तो मुख्यमंत्री तक पहुंचेगी. साहिबगंज में हो रही पत्थर
लूट के बारे में भी सीएम को कई बार पत्र लिखकर आगाह किया था.
भ्रष्टाचार में डूबी सरकार से
पूछताछ तो होगी ही
मरांडी ने कहा, भ्रष्टाचार में
डूबी सरकार से पूछताछ तो होगी ही. सीएम को चाहिए कि वे ईडी कार्यालय जाकर जांच में
सहयोग करें. धमकी देकर लोकतंत्र की मर्यादा को न तोड़ें. जांच एजेंसियां अपना काम
करती हैं. उन पर न तो किसी का दबाव होता है और न ही किसी का प्रभाव. सीएम को बताना
चाहिए कि जब शिबू सोरेन जेल गए थे, उस समय केंद्र व राज्य
में किसकी सरकार थी.
मीडिया हमारे आंदोलन को दिखाए, ताकि वे पहचान लें
मरांडी ने कहा, सीएम भाजपा कार्यकर्ताओं को धमकी दे रहे हैं
कि समय आने पर सबक सिखाएंगे. झामुमो को टास्क दिए हैं कि वे आंदोलन में शामिल
होनेवाले हमारे कार्यकर्ताओं को पहचानें. इसलिए, मीडिया से
आग्रह है कि वे हमारे आंदोलन को प्रमुखता से दिखाए, ताकि सीएम
को भाजपा कार्यकर्ताओं को पहचानने में मुश्किल न हो. मौके शिवपूजन पाठक व प्रतुल शाहदेव भी थे.
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