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शिक्षा विभाग की जांच में बड़ा खुलासा; कोविड के बाद भी नहीं सुधरी सरकारी स्कूलों की स्थिति, महज इतने बच्चे आते हैं पढ़ने


हम सभी जानते हैं देश में कोरोना के आगमन से सभी परेशान रहे. लोगों आम जीवन से लेकर बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हुई. सरकार व जनता की प्रयास से कोविड तो काबू में आ गया, लेकिन सरकारी विद्यालयों में अबतक बच्चों की उपस्थिति नहीं सुधरी है.  कोरोनाकाल में राज्य के सरकारी स्कूल महीनों बंद रहे. कोविड के बाद स्कूल तो खुले, लेकिन पढ़ने वाले बच्चों की संख्या पुरानी स्थिति में अबतक नहीं पहुंची. कुल स्ट्रेंथ के आधे बच्चे भी स्कूल नहीं आ रहे हैं.

झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने जिलावार छात्रों की उपस्थिति की समीक्षा की है. ई-विद्यावाहिनी पर अपलोड की गई छात्रों की उपस्थिति की तीन दिन तक औचक जांच की गई. 13, 14 और 15 सितंबर को स्थिति का आकलन किया गया . जेईपीसी की रिपोर्ट के अनुसार 13 सितंबर को 45.7 प्रतिशत, 14 सितंबर को 46.5 प्रतिशत तथा 15 सितंबर को 47.9 प्रतिशत की उपस्थिति पायी गई.

इस रिपोर्ट को लेकर भी अधिकारियों में ऊहापोह की स्थिति है. कुछ का कहना है कि बच्चों की यही वास्तविक उपस्थिति है, जबकि कुछ इसका ठीकरा स्कूलों के शिक्षकों के सिर फोड़ते हुए कह रहे कि ई-विद्यावाहिनी पर कई स्कूलों द्वारा छात्रों की उपस्थिति अपलोड नहीं करने के कारण ऐसी पूअर रिपोर्ट आई है.

शिक्षा मंत्री ने कम उपस्थिति पर उठाये सवाल
जब शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से बात की गई
, तो वे भी बच्चों की कम उपस्थिति पर चिंतित नजर आए. मंत्री ने कहा कि क्षेत्र में जब भ्रमण पर निकलते हैं, तो अनायास स्कूलों का निरीक्षण करने चले जाते हैं, जहां छात्रों की संख्या कम देख कर उन्हें तकलीफ होती है. वे स्वयं यह नहीं समझ पा रहे हैं कि यह संख्या कम क्यों है. वे इसकी पड़ताल करा रहे हैं. मंत्री ने कहा कि उन्हें विश्वास है, त्योहार के मौसम के बाद बच्चे अधिकतम संख्या में स्कूल आएंगे.

बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए ये है प्रयास
विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार
, कोविड के बाद बच्चे स्कूलों में न के बराबर आ रहे थे, पर धीरे-धीरे उनकी संख्या बढ़ रही है. बच्चों की संख्या बढ़े इसके लिए मध्याह्न भोजन योजना में भी परिवर्तन किया गया है. बता दें, एक अक्टूबर से प्रत्येक सप्ताह सोमवार से शुक्रवार तक लगातार पांच दिनों तक हर छात्र को एक-एक अंडा दिया जाएगा. विभाग को उम्मीद है कि इस परिवर्तन का लाभ मिलेगा. मध्याह्न भोजन के बहाने ही सही, बच्चे स्कूल आने लगेंगे और धीरे-धीरे यह उनकी आदत बन जाएगी.

शिक्षक कहां से दर्ज करा रहे उपस्थिति, लोकेशन प्राप्त करने का निर्देश
गौरतलब है कि बच्चों और शिक्षकों की स्कूलों में उपस्थिति पर शिक्षा विभाग के तेवर कड़े हो गए हैं. जेईपीसी की राज्य परियोजना निदेशक किरण कुमारी पासी ने डीएसई को निर्देश दिया है कि शिक्षक अपनी उपस्थिति कहां से दर्ज करा रहे हैं
, इसका लोकेशन प्राप्त करें. यदि वे नियमित स्कूल से हाजिरी नहीं बना रहे हैं तो उन पर कार्रवाई करें. स्कूलों बच्चों की उपस्थिति बढ़ाएं और ऐसा नहीं करने वाले शिक्षकों के खिलाफ भी नियमानुसार कार्रवाई करें.


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