दरअसल, शुक्रवार यानीआज से नहाय-खाय शुरू हो रहा है. इससे एक दिन पहले गुरुवार को शाम 5 बजे रांची रेलवे स्टेशन में पैर रखने की जगह नहीं थी. पूरा प्लेटफॉर्म
यात्रियों से खचाखच था. प्लेटफॉर्म पर मौर्य एक्सप्रेस पर खड़ा होते ही चढ़ने के
लिए यात्री एक-दूसरे पर टूट पड़े. बोगियों में घुसने के लिए मारामारी हो रही थी.
ट्रेन में 1500 यात्रियों के बैठने की कैपिसटी है, लेकिन करीब 4000 से ज्यादा यात्री ट्रेन में चढ़े.
स्थिति ऐसी थी कि ट्रेन के बाथरूम तक में लोग बैठे थे.
पहली बार एक दिन में 1200 वेटिंग टिकट कंफर्म
जी हां! छठ में पहली बार एक दिन में रेलवे ने 1200 वेटिंग टिकट खरीदने वाले यात्रियों को कंफर्म बर्थ दिया है. इसके लिए
रांची से दरभंगा स्पेशल ट्रेन चलाई गई जिसमें करीब 1000 यात्रियों
के वेटिंग टिकट को कंफर्म किया है. रेगलुर राउरकेला- जयनगर ट्रेन में पहले ही 400
से अधिक वेटिंग हो गई थी. वहीं, हटिया-पटना
इस्लामपुर ट्रेन में एक स्लीपर क्लास, हटिया-पटना पाटिलपुत्र
एक्सप्रेस और रांची-दिल्ली राजधानी में एक एसी बोगी लगाई गई. इससे 200 सीटें बढ़ी और यात्रियों को कंफर्म टिकट मिला है.
अध्यात्म और विज्ञान का अद्भुत संगम है छठ पर्व
छठ पूजा में शुद्धता पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाता है. इसे
सबसे कठिन व्रतों में गिना जाता है. नहाय-खाय से शुरू होने वाला यह चार दिनी पर्व
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होता है. सूर्य को अर्घ्य देने के
पीछे भी विज्ञान है. बता दें, नहाय-खाय अनुष्ठान से शरीर के अंदर ऐसी शक्ति जागृत
होती है,
जिससे आदमी जल्दी विचलित नहीं होता है.
वहीं, साफ-सफाई के साथ हल्का और ताजा खाना खाने के पीछे एक संदेश भी है कि यह शरीर
के लिए अच्छा है. छठ में सूर्यदेव को अर्घ्य देने से शरीर पर पड़ने वाले प्रकाश से
रंगों का संतुलन भी बना रहता है. यह बहुत कुछ भौतिक विज्ञान के प्रिज्म के
सिद्धांत से संबंधित है. सूर्य के प्रकाश और इस पर रंगों के प्रभाव के कारण शरीर
की रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ जाती है. साथ ही, सूर्य की
रोशनी से मिलने वाला विटामिन डी भी शरीर को मिलता है.
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