हालांकि,
अगर दोनों को मिलाकर देखें तो कूल कुल 946 पदों
पर नियुक्ति होनी है. इसके अलावे सार्जेंट (प्रारक्ष अवर निरीक्षक) के खाली पड़े 29
पदों पर भी बहाली होगी. सार्जेंट के कुल 100 पद
स्वीकृत हैं. इनमें से 71 कार्यरत हैं. गौरतलब है कि राज्य
में अब तक सिर्फ दो बार ही दारोगा की सीधी नियुक्ति हुई है. वर्ष 2012 में 384 और 2018 में 2580
दारोगा की बहाली हुई थी. इनमें स्पेशल ब्रांच के 480 दारोगा भी शामिल हैं.
महिलाओं के लिए इतने
पद हैं आरक्षित
राज्य में दारोगा के पदों पर होने वाली नियुक्ति में नि:शक्तों को आरक्षण नहीं
मिलेगा. एससी को मिलने वाले 26% आरक्षण में 2%
पद आदिम जनजाति के लिए क्षैतिज रूप से आरक्षित किया गया है. वहीं
कुल पदों का 2% खेलकूद कोटे के लिए आरक्षित रखा गया है. साथ
ही महिलाओं के लिए कुल पदों का 5% क्षैतिज रूप से आरक्षित
होगा.
इस बार पहले दौड़, फिर
लिखित परीक्षा
हेमंत कैबिनेट ने दारोगा-सिपाही नियुक्ति का फॉर्मूला बदल दिया है. अब पहले दौड़ की
प्रक्रिया पूरी होगी, फिर लिखित परीक्षा होगी. दरअसल,
शिबू सोरेन के मुख्यमंत्रित्व काल में पुलिस बहाली में दौड़ को
प्राथमिकता दी जाती थी. लेकिन रघुवर सरकार ने इस नियम को बदल दिया था. पहले लिखित
परीक्षा पास करना अनिवार्य था. इसके बाद ही दौड़ की प्रक्रिया होती थी. हेमंत ने
मुख्यमंत्री बनने के बाद फिर इस नियम को बदल दिया. पहले दौड़ को प्राथमिकता देने का
फैसला लिया. (इनपुट: दैनिक भास्कर)
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