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समझदारी: इनसे बातें होगी जितनी कम, निजी जिंदगी उतनी भली

कई बार हम अपने आसपास मौजूद लोगों पर इतना विश्वास कर लेते हैं कि अपनी हर बात उनसे साझा कर बैठते हैं. जबकि आपके जीवन में सबसे अधिक परेशान करने वाले यही लोग होते हैं.


परिवार में क्या हुआ, किससे बहस हुई, घर पर किसका व्यवहार कैसा है, अपनी गलतियों और दफ्तर का तनाव जैसी तमाम बातें कह डालते हैं. एक बार यह भी नहीं सोचते कि जिन लोगों को हम अपनी बात बता रहे हैं क्या वे हमें समझेंगे या क्या उन पर इतना विश्वास किया जा सकता है. हम अपनी निजी जिंदगी से लोगों को जितना दूर रखेंगे जीवन उतना ही आसान हो जाएगा.

दूसरों का दखल कम होगा
अपनी जिंदगी से जुड़ी समस्याओं और उलझनों को जितना बाहरी लोगों से साझा करेंगे, वे जीवन में उतना ही दखल देंगे. वे आपके लिए अपने मन में राय बना लेंगे और आपकी हर समस्या में शामिल होने की कोशिश करेंगे. बार-बार निजी जिंदगी से जुड़े सवाल पूछेंगे. यदि उनका आपके घर में आना-जाना है तो पारिवारिक मामलों में भी दखलअंदाजी की कोशिश कर सकते हैं. ऐसे में कई बार मामले संभलने के बजाय बिगड़ भी जाती है.

अनावश्यक हमलों से बचेंगे
हमारे आसपास मौजूद लोगों की सोच आपके प्रति कैसी है यह आप नहीं जानते. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो सामने शुभचिंतक होंगे, लेकिन पीठ पीछे वे आपकी उपलब्धियों से ईष्र्या भी करेंगे. जब आप अपनी निजी बातें ऐसे लोगों से साझा करते हैं तो वे आपकी कमजोरी मानकर आपके खिलाफ इस्तेमाल कर सकते हैं. लिहाजा ऐसी कोई बात किसी को ना बताएं जिससे आपको नुकसान पहुंचाया जा सके.

 

 

 


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