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फोटो कैप्शन: परिणाम आने के बाद खुशियां जाहिर करतीं नित्या व उनके परिवार |
टॉप करने के
पीछे बड़ी संघर्ष
नित्या बताती हैं कि बचपन से ही पढ़ाई में उनकी खूब रूचि
रही है. जब होश भी नहीं थे तब ही पिता का निधन हो गया. लेकिन, मां ने कभी पिता की कमी का एहसास नहीं होने दी.जब जिस चीज
की जरूरत हुई मां ने हंसकर पूरा किया. इसके साथ ही स्कूल ने कभी पैसे की मांग नहीं
की. शिक्षक से लेकर प्रधानाध्यापक सभी का समर्थन मिला. कई पुस्तकों को उन्होंने
मुफ़्त में मुहैया कराया. इस वजह से पिछले 12 वर्षों से अपने क्लास की ट़ॉपर रहीं और 10वीं में भी राज्य में तीसरा स्थान हासिल की थी.
टॉप करने के
पीछे की कहानी
एक साक्षात्कार के दौरान नित्या ने कहा कि कक्षा में पढ़ाया
जाने वाला हर विषय महत्वपूर्ण होता है और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है कक्षा
में उपस्थित रहना. क्लास करने से प्रतिदिन कुछ नई चीजें सीखने को मिलती है.
परीक्षा के दौरान मैं कभी तनाव में नहीं रही. क्योंकि, तनाव में किया गया सब काम खराब होता है. इससे बचने के लिए
मैं रोज सुबह अध्ययन करती. क्योंकि, कहा जाता है न कि करत-करत अभ्यास ते जड़मति होत सूजान; रसरी आरी आवत जात से सिर पर पड़त निसान. इसी कहावत को ध्यान
में रखते हुए आज मैं टॉपर बनीं.
डीएवी बरियातु विज्ञान टॉपर की मार्कशीट
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