Top News

बीजेपी नेता कैसे बन गये झारखंड के राज्यपाल? क्या रहेगी उनके लिए चुनौती?

झारखंड में सियासी हलचल है.. लगातार राजनेताओं पर सवाल उठते रहे हैं और सवाल भी क्यों न उठे अब तक यहां न स्थानीय नीति बन सकी है न नियोजन निति, केवल इतना ही नहीं और भी कई मुद्दे हैं जो विचार करने योग्य है. खैर असल मुद्दे पर आते हैं जिसपर आज हम चर्चा करेंगे. बता दें, वर्तमान में रमेश बैस झारखंड के राज्यपाल थे. लेकिन अब उन्हें महाराष्ट्र का पद भार सौंपा गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड सहित 13 राज्यों के राज्यपाल को बदल दिया है. अब सवाल उठ रहा है कि राज्य के नए राज्यपाल कौन होंगें. हालांकि, ये सवाल बिलकुल जायज है और इसका हम भी समर्थन करते हैं.

सबसे पहले आपको रमेश बैस के कार्यकाल और उनकी चुनौतियों को बताते हैं-
दरअसल, साल 2021 में रमेश बैस को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया था. हालांकि, राज्यपाल बनने से पहले भारत की 16वीं लोकसभा में छत्तीसगढ़ की रायपुर लोकसभा सीट से सांसद थे. 2014 के चुनाव में भी इन्होंने रायपुर लोकसभा सीट के लिए बीजेपी की ओर से हिस्सा लिए थे. खास बात तो यह है कि इन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य से लगातार 7 बार जीत दर्ज करके सांसद तक पहुंचने वाले लोकप्रिय नेता रहे हैं.

वहीं, अगर इनकी चुनौतियों की बात करें तो चुनाव आयोग की चिट्ठी को लेकर खूब हुआ था टकराव, स्थानीय विधेयक को लेकर रहा बड़ा विवाद. केवल इतना ही नहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बीच भी दिखा मतभेद. तो अब हम आपको विस्तार से बताते चलते हैं.

गौरतलब है कई कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्यपाल की चुप्पी राज्य में भ्रामक स्थिति उत्पन्न कर रही है. इससे विपक्ष को भी साजिशें रचने का मौका मिल रहा है. इस मसले पर पत्रकारों द्वारा जब सवाल किया गया तो राज्यपाल ने कहा कि लिफाफा इतनी जोर से चिपक गया है की कभी खुल ही नहीं सकता. इसके बाद उन्होंने यह भी कह दिया था कि झारखंड में बहुत जल्द एटम बम फूटने वाला है. ऐसे में सीएम हेमंत सोरेन ने इस बयान को ईडी के समन से जोड़ लिया.

अब होना क्या था.. केवल विवाद बयानबाजी में ही नहीं रही, यह मामला एक्शन में परिलक्षित हो गया. दरअसल, 15 नवंबर को झारखंड का स्थापना दिवस मनाया गया. इसमें मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू थी लेकिन एन वक्त पर उनका कार्यक्रम बदल गया. बाद में, राज्यपाल रमेश बैस को मुख्य अतिथि बनाया गया लेकिन वे नहीं पहुंचे. आनन-फानन में गुरुजी शिबू सोरेन को मुख्य अतिथि बनाया गया.

वहीं, राज्य का स्थानीय विधेयक भी एक बड़ा मुद्दा रहा. जबकि अधिकतर  झारखंडी इस मांग को तेज रखा है. लेकिन पिछले दिनों सरकार की महत्वाकांक्षी स्थानीयता विधेयक को वापस कर दिया. इससे पहले भी उन्होंने उत्पाद विधेयक को वापस लौटाया था. वित्त विधेयक को भी 2 बार वापस किया. ऐसे में सरकार ने स्थानीय विधेयक को लेकर राज्यपाल पर निशाना साधा. साथ ही हेमंत सोरेन ने भी खतियानी जोहार यात्रा के दौरान राज्यपाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार के ईशारे पर काम कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें तय कर लेना चाहिए कि वे राजनीति करने आए हैं या राज्यपाल बनने.

ऐसे में अब ये जानना बेहद जरूरी कि कौन हैं सीपी राधाकृष्णन?
खबर की शुरुआत करने से पहले आपको ये बता दें कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में भी सुमार है इनका नाम...
RSS और जनसंघ से इनका बेहद जुडाव रहा है. अगर विस्तार से बताएं तो सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु के वरिष्ठ बीजेपी नेता हैं. वर्तमान में उन्हें अब झारखंड के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया है. लेकिन वह दो बार कोयम्बटूर से लोकसभा के लिए चुने गये थे. वह तमिलनाडु के लिए पार्टी के पूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं. वर्तमान में बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैं और उन्हें पार्टी के आलाकमान द्वारा केरल भाजपा प्रभारी वह 2016 से 2019 तक अखिल भारतीय कॉयर के अध्यक्ष थे. साथ ही सीपी राधाकृष्णन 16 साल की उम्र से 1973 से 48 साल तक आरएसएस और जनसंघ से सीधे संगठन से जुड़े रहे हैं.

Post a Comment

Thankyou!

और नया पुराने