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सेनादोनी में पांच दिवसीय प्राण-प्रतिष्ठा महायज्ञ का शुभारंभ, गांव में निकाली गई भव्य कलश यात्रा

Jharkhand News: गिरिडीह जिले के सेनादोनी में रविवार को भव्य कलशयात्रा के साथ पांच दिवसी य शिव प्राण-प्रतिष्ठा महायज्ञ का शुभारंभ किया गया. इस कलश यात्रा में लाल-पीले वस्त्रों को पहने एक सौ आठ महिलाओं व कुआंरी कन्याओं ने भाग लिया. यह यात्रा यज्ञ मंडप से शुरू होकर गांव का भ्रमण करते हुए उसरी नदी के तट पर पहुंची जहां चरघरा से आए यज्ञाचार्य पंडित नीलकंठ पांडेय ने वैदिक मंत्रों के साथ कलशों में जल भरवाया.

बता दें, इस महायज्ञ में प्रतिदिन विद्वानों की ओर से यज्ञ, अनुष्ठान व भक्तिमय कथा प्रवचन का भी आयोजन किया गया है.  वहीं, कथा प्रवाचिका सविता मिश्रा ने बताया कि यज्ञ से वातावरण की शुद्धि होती है. साथ ही धर्म व जीव जगत की रक्षा व कल्याण के लिए यज्ञ भगवान का आह्वान करने की वैदिक परंपरा रही है. ऐसे कार्यक्रम से हमें सीख लेनी चाहिए. इसमें हमारे मुख्य यजमान माननीय शिवशंकर नारायण देव, लक्ष्मी नारायण देव, शिवदानी नारायण देव, मुरारी नारायण देव, बमबम नारायण देव, महादेव नारायण देव, ललन नारायण देव, कन्हैया नारायण देव, पुनेश्वर नारायण देव, दीपक नारायण देव, एवं समस्त देव परिवार की ओर से यह प्राण-प्रतिष्ठा यज्ञ का आयोजन कराया गया है.

ग्रामीण जीतेन्द्र कुमार देव ने बताया कि हमारे गांव में स्थित इस पौराणिक मंदिर को शिवालय का नाम दिया गया है. यहां भगवान भोलेनाथ माता पार्वती समेत कई विराजमान हैं. अगर इस मंदिर के इतिहास की बता करें तो करीब दो सौ वर्ष पुरानी है और इसकी स्थापना हमारे पूर्वज सोमनारायण देव ने करवाई है. ऐसा कहा जाता है कि सोमनारायण देव के भाई लालबिहारी देव के पुत्र नहीं हो रहे थे तो उन्होंने यहां माता पार्वती की भी मंदिर की स्थापना की. तत्पश्चात, उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई जिनका नाम अवधविहारी देव रखा गया. इस मंदिर की भव्यता से सभी लोग सुखी-संपन्न हैं और देश-विदेश में अपना परचम लहरा रहे हैं.

गौरतलब है कि इस गांव के युवा पीढ़ी ईश्वर व अपने धर्म को लेकर काफी जागरूक हैं. दरअसल, शिवालय काफ़ी ऐतिहासिक व पौराणिक होने की वजह से इसका सौंदर्यीकरण किया गया. युवाओं ने अपने व्यक्तिगत काम को छोड़कर इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया. मौके पर ग्रामीण सौरभ नारायण देव ने कहा हमने मंदिर के कार्य में लगातार समय दिया इस वजह से आज काफी भव्य रूप ले चूकि है और यहां प्राण-प्रतिष्ठा महायज्ञ का शुभारंभ भी किया जा सका. हम ये भी बता देना चाहते हैं कि समय के साथ-साथ मूर्तियां खंडित हो गई थी इस एवज में नर्मदेश्वर शिवलिंग को इस मंदिर में लाकर स्थापित किया गया जो काफी अद्भुत है और हमारी कामना है कि हमारा यह धार्मिक कार्य सफल साबित हो.

 

 

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