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बड़ी राहत: नए साल की शुरुआत से इस बिमारी का सस्ता होगा इलाज; 70 प्रतिशत दवाइयों के दाम भी घटेगी, जानें विस्तार से-

नए साल की शुरुआत होने से पहले ही अच्छी खबर आनी शरू हो गई है. बता दें, हार्ट फेल्योर के इलाज में काम आने वाली दवाओं के दाम जनवरी के बाद 50-70% घट सकते हैं. स्विस कंपनी नोवार्टिस की दवा वायमाडा या एंट्रेस्टो का पेटेंट जनवरी में खत्म हो रहा है. इसके बाद 5 बड़ी दवा कंपनियां इसका जेनेरिक वर्जन लॉन्च करने की तैयारी में हैं. टोरेंट फार्मा, सन फार्मा, सिप्ला, ल्यूपिन, यूएसवी इनमें शामिल हैं.

गौरतलब है कि अभी 100 एमजी की वायमाडा की एक टैबलेट 85 रुपए की है. फार्मा एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जेनरिक वर्जन बाजार में आने के बाद इसकी कीमत 50-70% घटकर 25.5-42.5 रुपए रह जाएगी. फिर अन्य कंपनियों को भी ऐसी दवा के दाम घटाने होंगे. देश का कार्डिएक मार्केट 23,000 करोड़ रुपए का है. इसमें वायमाडा की बड़ी (550 करोड़ ) हिस्सेदारी है. इसका वैश्विक बाजार 32,532 करोड़ का है. डॉ रेड्डीज लैब ने इस साल अप्रैल में 463 करोड़ रुपए में नोवार्टिस से कार्डियोवस्क्युलर ब्रांड सिडमस को खरीद लिया था.

हार्ट की गति बढ़ाने में मदद करती है वायमाडा
दरअसल, वायमाडा सैक्युबिट्रिल और वैल्सेट्रान का कॉम्बिनेशन है. यह हार्ट फेल्योर के मरीजों को दी जाती है. सैक्युबिट्रिल ब्लड फ्लो कंट्रोल करती है और वैल्सेट्रान कॉमन एंटी- हायपरटेंसिव है. इसके प्रभाव से हार्ट की गति कम होती है और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है. इन दोनों दवाओं का संयुक्त प्रभाव कमजोर हो चुके दिल का तनाव कम करता है.

कार्डिएक दवा बाजार में हिस्सेदारी

      दवा                          हिस्सेदारी
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·      एंथिहाइपरटेन्सिव्स                       53%

·      लिपिड लोवरिंग                           23%

·      प्लेटलेट एग्रेगेशन इनहिबिटर्स        5%

·      डाइयूरेटिक्स                                 4%

नोट: बाजार में सन फार्मा की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है. देश की 20 फार्मा कंपनियों की कार्डिएक मार्केट में 56% हिस्सेदारी है. (स्रोतः मार्केट रिसर्च फर्म अवाक्स)

 

 

 

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