मिली जानकारी के
अनुसार, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग
भी डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय की एक विद्यापीठ है. जिसमें फिल्म
मेकिंग का कोर्स भी चलाया जाता है किंतु छात्रों से बात करने पर अधिकांश छात्रों ने
बताया कि इस फिल्म फेस्टिवल की उन्हें कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई ना ही फिल्म
मेकिंग के विद्यार्थियों को इस फिल्म फेस्टिवल में आमंत्रित किया गया. ऐसे में इस
कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय प्रशासन पर कई सवाल खड़े करता है.
बता दें, इस फिल्म फेस्टिवल का आयोजन
जोहार एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के संधि से नव भारत निर्माण संघ द्वारा आयोजित
कराया गया है. इसके चेयरपर्सन सुनील सिंह बादल, प्रोग्राम
हेड आकाश सिन्हा, और कोऑर्डिनेटर संजीव कुमार सिंह हैं.
गौरतलब है कि
यह पहली बार नहीं हुआ है. डॉ. श्यामा
प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में ऐसे कई बाहरी कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है
जिसका छात्र हित से कोई सरोकार नहीं रहा है. जिसके कारण विद्यार्थियों के
परीक्षाओं को स्थगित कर फिल्म फेस्टिवल के आयोजन का अधिक महत्व दिया गया है.
हालांकि, इस बार 5वें झारखंड इंटरनेशनल
फिल्म फेस्टिवल एंड अवार्ड 2022 को रद्द करने की मांग की. इसके लिए विरोध प्रदर्शन
भी किया गया. विद्यार्थियों ने
विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू से बात की जिसमें डीएसडब्ल्यू विद्यार्थियों को जवाब
देने में असहज दिखाई दिया.
विरोध प्रदर्शन
में आए विद्यार्थियों में अमनदीप मुंडा ने बताया कि “विश्वविद्यालय प्रशासन छात्र
हितों को भूलकर इस प्रकार के कमर्शियल आयोजनों से कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने में
जुटी हुई है. विद्यार्थियों के विरोध प्रदर्शन को नजरअंदाज करते हुए विश्वविद्यालय
प्रशासन इस तरह के आयोजन करा रहा है. विश्वविद्यालय का प्रयोग शैक्षणिक कार्यों के बजाय कॉरपोरेट के कमर्शियल कार्यों
में करके विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों के वेलफेयर के बजाय अपने वेलफेयर में जुटी
हुई है”.
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