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हजारीबाग में असंवेदनशील व्यवस्था का जिम्मेवार कौन? इस गर्भवती को बेड नहीं मिलने पर खड़े-खड़े हो गया प्रसव, जमीन पर गिरने से बच्चे की मौत

झारखंड में लगातार अस्पताल की व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात कही जाती है. कैबिनेट में भी कई फैसले लिए जाते हैं. लेकिन क्या वाकई में आम लोगों को अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए इलाज कराना सुगम हो सका है? ये सवाल होनी चाहिए या नहीं? कई बार राजधानी रांची में स्थित रिम्स व सदर अस्पताल में जघन्य अपराध की भांति इलाज की गई है जिससे मरीज की मौतें भी हो जाती है. इस वजह से अब लोग यहां भर्ती होने से कतराते हैं. बता दें, इसपर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता खुद अस्पताल का जायजा लिए हैं. फिर भी अच्छी व्यवस्था लोगों को प्रदान नहीं की जाती है. अगर अच्छी सुविधा रहती तो झारखंड के चर्चित जिला हजारीबाग के अस्पताल में गर्भवती को बेड जरुर मिल जाती..

दरअसल, इन बातों का हम इसलिए जिक्र कर रहे हैं क्योंकि हजारीबाग के शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बुधवार को बड़ी लापरवाही देखने को मिली. बता दें, झारखंड के स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह भी अस्पताल के विकास एक लिए उस वक़्त मौजूद रहे. उन्होंने न्यू बिल्डिंग की आईसीयू में व्यवस्था सुधारने की बात कर ही रहे थे कि अचानक एक बड़ी खबर उनके मौजूदगी में बन गई. इसकी वजह बनी लेबर रूम के बाहर खड़ी एक गर्भवती महिला. हालांकि, इसमें उस महिला की कोई गलती नहीं थी लेकिन वो कुव्यवस्था की शिकार हो गई.

मिली जानकारी के अनुसार, उस महिला को अस्पताल में बेड नहीं मिलने पर अस्पताल के बाहर उसने शिशु को खड़े-खड़े जन्म दे दिया. लिहाजा करीब फीट की उंचाई से जमीन पर गिरने के बाद मौके पर ही बच्चे की मौत हो गई. इस मामले में उसके पति नौशाद आलम ने कहा पत्नी नुसरत परवीन को प्रसव पीड़ा हो रही थी. जिसके बाद उसने पत्नी को लेकर सुबह 11 बजे अस्पताल पहुंचे. पत्नी दर्द से परेशान थी और लेबर रूम के बाहर बेड मिलने का इंतज़ार कर रही थी. परंतु, आम आदमी के इतनी अच्छी व्यवस्था कहां! कई बार अनुरोध करने के बावजूद बेड नहीं दिया गया. उसके बाद शाम के 4 बजे डिलीवरी हो गई. वहीं, बीते मंगलवार को डॉक्टर ने बताया था कि अभी प्रसव का समय नहीं हुआ है. अब आप खुद ही सोचकर देखिये कि ऐसी घटना के बाद भी यहां व्यवस्था में सुधार लाने की बात नहीं की जाती है. फिर एक आम आदमी के लिए अपनी स्वास्थ्य की इलाज कराना काफी कठिन हो जायेगा. इन सभी चीजों के लिए कब सवाल उठेगी? क्या गलती थी उस नवजात शिशु की जिसे अपनी मां का प्यार भी नहीं मिल सका. जन्म के बाद आंख भी नहीं खुल सका, इसका जिम्मेवार कौन? जबतक ऐसा सवाल नहीं होगा आम आदमी को कभी अधिकार नहीं मिल सकेगा.

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