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हमें नामांकन के वो दिन भी याद हैं और दीप्ति मैम के महत्वपूर्ण सुझाव; इन तथ्यों को पढ़कर आप भी हो जायेंगे भावुक!

पत्रकारिता एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर एक अलग सा अनुभव होता है. हालांकि, अभी के इस दौर में पत्रकारिता बेहद आम हो गई है. हर रोज एक नए चैनल की शुरुआत की जा रही है. ऐसे में जो चाहे खुद को पत्रकार मानने लगे हैं. फिर भी समाज में पत्रकार को काफी ऊंचे स्तर पर देखा जाता है, उन्हें सम्मान दिया जाता है. वहीं, कई विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में पत्रकारिता की पढ़ाई शुरू हो है. बता दें, हम खुद भी अभी इस नए दौर के वाशिंदे हैं. परंतु, हमारा पत्रकारिता में समय गुजरना एक अलग ही अंदाज का आभास कराता है. इसकी भी एक खास वजह है.

गौरतलब है कि अगर नामांकन के समय से शुरुआत करें तो मैंने इंटर पास करने के बाद ही झारखंड की राजधानी रांची में स्थित डॉ० श्यामा प्रसाद यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग में दाखिला ले लिया. उस दौरान कोरोना महामारी भयावह रूप ले चुकी थी. इस वजह से नामांकन की सभी प्रक्रिया ऑनलाइन ही हुई थी. इसके कुछ ही दिनों बाद हमारी पढ़ाई शुरू हो गई. अब आपको तो पता ही होगा कि उस दौरान सभी कक्षाएं ऑनलाइन चल रही थी. उस दौरान प्रथम सेमेस्टर में इंट्रोडक्शन टू मास कम्युनिकेशन पेपर को (Introduction to Mass Communication) दीप्ति गौरव मैम से पढ़ने का मौका मिला. अब भी मुझे याद है कि मेरा पहला क्लास का दिन मेरे लिए कितना महत्वपूर्ण रहा.

दरअसल, उस वक्त मैं खुद को अबोध समझता और चर्चित विषयों पर चिंतन करता था. इस वजह से किसी से न ज्यादा बातें करना ठीक लगता था न किसी सवालों का जवाब देना. अब बोलना क्या है, दीप्ति मैम कक्षा की शुरुआत सभी के परिचय से कर दी. जिसमें कैमरे को चालू रखने की भी शर्त रखी गई. हमारे सभी मित्र बारी-बारी से अपना परिचय दे रहे थे. वहीं कुछ मिनटों में मेरी भी बारी आ गई. लेकिन मैं उस दौरान अनुशासन का पालन न कर सका. इसे बताने में मुझे बुरा नहीं लगता. क्योंकि, मैंने गलती करने के बाद ही सीखा. परंतु, इसका श्रेय दीप्ति मैम जाता है. अब मैं उस गलती का राज बताता हूं. दरअसल, गांव में इंटरनेट की थोड़ी असुविधा थी और कैमरे के सामने आना सभी के सामने अपना परिचय देने में भयभीत हो जाता तो बहाने मिल गए कि इस वजह से ही मैंने अपना परिचय नहीं दिया. अब अंतिम में फिर से मौका मिला तो मैं अपने परिचय में बोल दिया कि आईएएस अधिकारी बनना लक्ष्य है. क्योंकि, आम लोगों के साथ रहकर समाज कल्याण में अपनी भागीदारी देना बचपन का  ही सोच था.  

बता दें, उस दौरान मुझे मैम डांट नहीं लगाईं बल्कि और अच्छे से समझाते हुए कही ‘अगर भविष्य में सफलता पाना है तो लक्ष्य अभी साधना होगा’ और ईमानदारी से मेहनत करना शुरू कीजिए. अगर पत्रकारिता में ही अपने सुनहरे भविष्य को देख रहे हैं तो समय और अनुशासन का खास ध्यान रखना होगा. जब आप इन सभी चीजों के अनुकूल रहते हैं तो जरूर कामयाब होंगे. ये बात हमेशा याद रखिए कि “मुश्किल नहीं है कुछ दुनिया में.. तू ज़रा हिम्मत तो कर, ख्वाब बदलेंगे हकीक़त में.. तू ज़रा कोशिश तो कर”.

अगर दीप्ति गौरव मैम की बात करें तो ‘दीप्ति गौरव सिर्फ एक नाम ही नहीं है, खुद में एक जादू हैं. इन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ ही बड़े-बड़े संस्थानों में धारदार समाचार आलेख (News Article) लिखा करती थीं. साथ ही कई दफा निर्भीक पत्रकारिता राष्ट्र हित में की हैं. वर्त्तमान में हमारी शिक्षिका हैं. लेकिन आज अंतिम क्लास था. फिर भी दीप्ति मैम से जीवन भर सीखने की अपेक्षा है. हम सभी दीप्ति मैम से पढ़ना अपना सौभाग्य मानते हैं.

पत्रकारिता का एक परिचय
पत्रकारिता
 आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है, जिसमें समाचारों का एकत्रीकरण, लिखना, जानकारी एकत्रित करके पहुँचाना, सम्पादित करना और सम्यक प्रस्तुतीकरण आदि सम्मिलित हैं. आसान शब्दों में पत्रकारिता समाचार और सूचनाओं को इकट्ठा करने, मूल्यांकन करने, बनाने और प्रस्तुत करने की गतिविधि भी है. इसका अर्थ मुख्यतः सूचना के आदान-प्रदान से जुड़ा से हुआ है. आज के युग में पत्रकारिता के भी अनेक माध्यम हो गये हैं; जैसे- अखबार, पत्रिकायें, रेडियो, दूरदर्शन, वेब-पत्रकारिता आदि. किसी घटना के तथ्य, कारण एवं उपयोगिता की जांच करना पत्रकारिता का मूल कर्तव्य है. घटना की सूचना देने में पत्रकारिता के छः ककार; क्या, कब, कहां, किससे, किसने, क्यों महत्वपूर्ण हैं.

(रिपोर्ट: महिमा साक्षी, स्टोरी: हिमांशु कुमार देव) 

 

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