नवरात्रि के आगमन से श्रधालुओं में काफी उत्साह का
माहौल है. बाजारों में भी लोगों का भीड़ देखा जा सकता है. लेकिन इस खबर में झारखंड
की एक प्राचीन देवड़ी मंदिर के बारे में जानकारी मिलेगी. बता दें, नवरात्र में भक्तों को घर बैठे देवड़ी मंदिर में स्थापित 16 भुजाओं वाली दुर्गा
मां का ऑनलाइन दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा. सुबह-शाम की पूजा-आरती में
भक्त घर बैठे ऑनलाइन शामिल हो सकेंगे.
इस मंदिर की संरचना की भी मरम्मत हो रही है. इसके साथ
ही और रंग-रोगन भी कराया जा रहा है. खबर के मुताबिक यह मंदिर करीब 700 साल पुराना है. अब माता का दर्शन करने के बाद भक्त जिस स्थान पर नारियल
फोड़ते हैं, उसका दायरा भी बढ़ाया गया है. अब अधिक
संख्या में भक्त वहां नारियल फोड़ सकेंगे. सुरक्षा के दृष्टिकोण से मंदिर परिसर
में 16 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. रांची से करीब 60 किमी दूर मां देवड़ी मंदिर का विशेष महत्व है. यहां देश-दुनिया से
श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेन्द्र
सिंह धौनी भी अक्सर मां के दरबार में हाजिरी लगाते हैं. बुंडू एसडीओ सह मंदिर
कमेटी के अध्यक्ष अजय साव ने कहा कि नवरात्र में भीड़ के कारण काफी श्रद्धालु नहीं
आ पाते हैं. उनके लिए घर बैठे लाइव दर्शन की व्यवस्था की जा रही है. वेबसाइट तैयार
हो गई है. दो दिनों में इसे लॉन्च किया जाएगा. बहुत जल्द बुंडू-तमाड़ में पर्यटन
मनोरंजन कॉरिडोर पर भी काम शुरू होगा. नए वर्ष में लोगों को बड़ी सौगात मिलेगी.
नए वर्ष में बुडू-तमाड़ में धार्मिक-मनोरंजन कॉरिडोर की सौगात
नए वर्ष में बुडू-तमाड़ में धार्मिकमनोरंजन कॉरिडोर
की सौगात नए वर्ष में बुंडू-तमाड़ में धार्मिक-मनोरंजन कॉरिडोर की सौगात मिलेगी.
इस पर जल्द ही काम शुरू होगा. बुंडू सूर्य मंदिर के पास के जंगल को पार्क के रूप
में विकसित किया जाएगा. इस पर करीब 4 करोड़ रुपए खर्च होंगे. वहीं, बुंडू बाजार के
पास करीब 90 एकड़ में फैले बड़ा तालाब का भी
सौंदर्यीकरण होगा. तालाब के चारों ओर पार्क विकसित किया जाएगा. किड्स प्ले जोन, कैफेटेरिया, बैठने के लिए टेबल-कुर्सी लगाएं
जाएंगे. तालाब में बोटिंग की भी सुविधा मिलेगी. अगर कोई अपने परिवार के साथ
देवड़ी-सूर्य मंदिर का दर्शन करने आता है, तो वह पूरा
दिन बच्चों के साथ उसी क्षेत्र में व्यतीत कर सकता है.
अद्भुत है मंदिर की संरचना, दरवाजे भी पत्थर
के
देवड़ी मंदिर के पुजारियों की माने तो यह मंदिर 10 वीं से 12 वीं शताब्दी के बीच का है.
मंदिर का निर्माण कैसे हुआ और किसने किया यह किसी ने नहीं देखा. एक भक्त को जंगल
में मंदिर होने का स्वप्न आया था, इसके बाद लोगों को
पता चला कि यहां मंदिर है. मंदिर में अद्भुत कलाकृति बनी हुई है. दरवाजे भी पत्थर
में के बने हैं. मंदिर में करीब साढ़े तीन फीट ऊंची देवड़ी वाली मां काली की
मूर्ति स्थापित है. अधिकतर मंदिरों में 8 या 10 भुजाओं वाली दुर्गा माता की मूर्ति रहती है. लेकिन यहां माता की 16 भुजाएं हैं. यहां से जुड़े भक्तों की मनोकामनाएं मां पूरी करती हैं.
एक टिप्पणी भेजें
Thankyou!