नवरात्रि का प्रारंभ कलश स्थापना के साथ बीते सोमवार के दिन से ही हो गई है. ऐसे में आज चतुर्थ मां कुष्मांडा की पूजा होगी. लोग मेले की तैयारी कर रह हैं. हर जगह अलग-अलग तौर-तरीके से इसका निर्माण किया जा रहा है. जिसमें झारखंड की राजधानी रांची के बकरी बाजार में 4 एकड़ जमीन पर राज्य के सबसे बड़े पंडाल का निर्माण किया गया है. इसमें पंडाल के साथ तरह-तरह के झूले और फूड स्टॉल्स लगाए गए हैं.
75 लाख रुपये की है लागत
बता दें, इस बार बंगाल के भव्य इस्कॉन मंदिर का प्रारूप हूबहू बनाया गया है. इसमें
स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा भी भव्य है. यह भी राज्य की सबसे बड़ी मूर्ति है.
इसकी ऊंचाई 16 फीट और चौड़ाई 36 फीट है. भारतीय युवक संघ द्वारा बनाए जा रहे इस
पंडाल को बंगाल से आए 80 कारीगरों ने 120 दिन में बनाया है. इस संघ के अध्यक्ष
अशोक चौधरी ने कहा कि सिर्फ पंडाल के निर्माण में 60 लाख रुपए लगे हैं, जबकि पूरे
आयोजन में 75 लाख रुपए खर्च हो रहे हैं.
इस दिन खुलेगा पंडाल का पट
वहीं, संघ के बसंत शर्मा और राहुल अग्रवाल का कहना है कि कोलकाता से आने वाले
लोगों ने कहा कि कोलकाता में बन रहे टॉप 20 पंडालों में इसे शामिल किया जा सकता है.
उन्होंने यह भी कहा कि गुरुवार यानी आज से पंडाल के पट शाम सात बजे खोल दिए जाएंगे.
इस पंडाल को देखने पूरे राज्य से लोग आते हैं, पड़ोसी राज्यों से भी लोग आते हैं.
मेले में यह झूला लोगों को करेगा
आकर्षित
कोरोनाकाल के बाद लोगों को इक्कट्ठा होने की मंजूरी मिलने से इस बार भीड़ काफी
ज्यादा हो सकती है. ऐसे में समिति के द्वारा श्रधालुओं को आकर्षित करने के लिए कई
तरह के झूले लगाईं गई है. इसमें पिछले साल की भांति इस बार झूले की संख्या में
इजाफा किया गया है. बता दें, पांच बड़े झूले मंगाए गए हैं. वहीं, बच्चों के
लिए 8 झूले हैं. सबसे खास बात यह है कि लोगों को सबसे ज्यादा
पसंद आने वाला रेंजर झूला भी इस बार मंगाया गया है. इनके अलावा झूले टोरा-टोरा,
ब्रेक डांस, टावर आदि हैं.
इस्कॉन मंदिर की ये है खासियत
जैसा कि हमने पहले ही बताया यह पंडाल इस्कॉन मायापुर, पश्चिम
बंगाल के आधार पर बनाया गया है. यह मंदिर विश्व का सबसे बड़ा मंदिर है. साथ ही मायापुर
धाम श्री चैतन्य महाप्रभु का जन्म स्थान है. श्री चैतन्य महाप्रभु स्वयं कृष्ण हैं,
जो आज से 500 वर्ष पहले मायापुर में प्रकट हुए
थे. उन्होंने कलियुग के युगधर्म हरिनाम संकीर्तन का उद्घाटन मायापुर से ही किया था,
जो आज पूरी दुनिया में फैल रहा है. श्री चैतन्य महाप्रभु के विशेष
कृपा पात्र भक्त श्रील जी को जो इस्कॉन के प्रभुपाद संस्थापक आचार्य हैं.
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