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इस कन्नड़ फिल्म की सक्सेस पार्टी रांची के ‘द सिग्नेचर’ में, महज इतने दिनों में लागत से 5 गुना अधिक कमाई, जानें फिल्म की कहानी..



दुनियाभर में KGF फिल्म नाम कमाने के बाद आज किसी परिचय का मोहताज़ नहीं  है. उसी तरह KGF के निर्माता 'होम्बले फिल्म्स' द्वारा बनाई गई कन्नड़ फिल्म ‘कांतारा’ भी देश भर में धूम मचाने में पीछे नहीं है, फिल्म के शो लगातार चार हफ्तों से हाउसफुल रहे हैं. फिल्म को हर वर्ग के दर्शकों के द्वारा सराहा जा रहा है. इसमें भी खास तो यह है कि अब भी यह फिल्म सिनेमाघरों में लग रहे हैं. मिली जानकारी एक अनुसार, कन्नड़ फिल्म ‘कांतारा गत 30 सितंबर को रिलीज हुई है. वहीं, रिलीज के महज 14 दिन में ही फिल्म ने लागत से करीब 5 गुना अधिक की कमाई कर ली है. इसके साथ ही यह फिल्म IMDb पर सबसे अधिक रेटिंग वाली भारतीय फिल्म भी बन गई है.

 बता दें, फिल्म के इस अपार सफलता को सेलिब्रेट करने के लिए लालपुर स्थित "द सिग्नेचर" में "होम्बले फिल्म्स" और "फेमकास्ट एडवरटाइजर" रांची के द्वारा एक सक्सेस पार्टी आयोजित की गई. कार्यक्रम की शुरुआत फिल्म के ट्रेलर के स्क्रीनिंग के साथ हुई. इसमें मुख्य अतिथि मिस यूनाइटेड नेशंस अर्थ  2022 की विजेता एन्जेल मरीना तिर्की थी.  जिन्होंने अपनी खूबसूरती से फिल्म कांतारा के सक्सेस पार्टी में चार चांद लगा दिए . उसके बाद माहौल को थोड़ा संगीतमय बनाने का जिम्मा "झूम" ग्रुप के रैपर्स और 'डीजे सोनिक' ने अपने कंधे में लिया और फिर अपने धुनों से उन्होंने सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया. फिल्म कांतारा के इस सफलता के जश्न में भागीदार बनने और इस इवेंट को कवर करने के लिए शहर के सभी पॉपुलर इनफ्लुएंसर व पत्रकार मौजूद रहे. बताया जा रहा है कि इस इवेंट को सक्सेस बनाने में मुख्य तौर पर फेमकास्ट एडवरटाइजर, रांची मेरी जान, वॉइड थ्रॉब, द सिग्नेचर का महत्वपूर्ण योगदान रहा.

आइए जानते हैं इस फिल्म की कहानी
इस फिल्म में आधुनिक और सांस्कृतिक विरासत के बीच एक टकराव को दिखाती है. यह दक्षिण भारत के भूता कोला प्रथा पर आधारित है. वहीं, फिल्म की कहानी कुछ इस प्रकार है- “एक राजा ने देवता माने जाने वाले एक पत्थर के बदले अपनी कुछ जमीन गांव वालों को दे दी थी. राजा को देवता ने पहले ही बता दिया था कि अगर उसने जमीन वापस ली तो अनर्थ हो जाएगा. दूसरी तरफ एक वन विभाग के अधिकारी को लगता है कि गांव के लोग अंधविश्वास के कारण जंगल को नुकसान पहुंचा रहे हैं और पशुओं के साथ क्रूरता कर रहे हैं. यही टकराव फिल्म की कहानी है. फिल्म में गांव वालों के जंगल और जानवरों से जुड़े अपने विश्वास हैं और उनका मानना है कि जब वो जंगल की सेवा करते हैं तो जंगल पर सिर्फ उनका अधिकार है.

(इनपुट: पारुल कुंकल)

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