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Operation Sindoor: कैसे जंग के मुहाने से लौटा भारत-पाक तनाव? भारत की सैन्य शक्तियों से पीछे हटा पाकिस्तान?

Operation Sindoor: पिछले कुछ हफ्तों में भारत और पाकिस्तान एक बार फिर टकराव के बेहद करीब पहुंच चुके थे. ऑपरेशन सिंदूर के बहाने पाकिस्तान ने सीमा पर घातक ड्रोन और आधुनिक हथियारों के साथ हमला करने की तैयारी की, लेकिन भारत की तीनों सेनाओं की सतर्कता, तकनीकी बढ़त और वैश्विक समर्थन ने जंग की नौबत टाल दी. जमीन से लेकर हवा और समुद्र तक, भारत की रणनीति और मजबूती ने पाकिस्तान को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. इस टकराव ने साफ कर दिया कि युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं, रणनीति और कूटनीति से भी जीता जाता है.सीमा पर हलचल बढ़ी, ड्रोन और मिसाइल तैयार रखे गए. लेकिन वक्त रहते डिप्लोमैटिक दांव और सैन्य संतुलन ने इसे युद्ध में बदलने से रोक लिया. इस रिपोर्ट में पढ़ें पूरा विश्लेषण...

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पाकिस्तान के मुकाबले जमीन पर भारत भारी

भारतीय सेना के पास 280 आर्टिलरी रेजिमेंट हैं. 105 मिमी फील्ड गन, धनुष, शारंग, बोफोर्स, M777, के-9 वज्र जैसे हथियार तैनात हैं. साथ ही पिनाक, स्मर्च और ग्रैड रॉकेट सिस्टम से मारक क्षमता कहीं ज्यादा है. वहीं, पाकिस्तान की 25 रेजिमेंट चीन से मिले SH-15 हॉवित्जर पर निर्भर हैं. टैंक के मामले में भारत के पास 4200 से अधिक टैंक हैं, जिसमें T-90 भीष्म और अर्जुन जैसे आधुनिक टैंक शामिल हैं. पाकिस्तान के पास करीब 2600 टैंक ही हैं.


हवा में युद्ध के लिए भारत के पास हैं इतने फाइटर जेट 

सैन्य रणनीतिकारों का मानना है कि इस युद्ध में जमीनी लड़ाई उतनी नहीं हुई, जितना हवाई हमले या मिसाइल शक्ति का प्रदर्शन हुआ. हालांकि, हवा में युद्ध के लिए भी भारत के पास 606 फाइटर जेट हैं, जिनमें राफेल, सुखोई-30 और तेजस शामिल हैं. 80 अटैक हेलिकॉप्टर और S-400 जैसे एयर डिफेंस सिस्टम इसकी ताकत को और मजबूत करते हैं.

IAF के पास ब्रह्मोस, क्रिस्टल मेज-2, KH-35 जैसी लंबी दूरी की एयर-लॉन्च्ड मिसाइलें हैं. स्पाइस-2000 ग्लाइड बम भी बड़ी भूमिका में हैं. वहीं, पाकिस्तान के पास 387 फाइटर जेट हैं, जिनमें JF-17, J-10CE और F-16 शामिल हैं. अवाक्स और AEW\&C विमानों की संख्या में वो भारत से आगे है.उसके पास 9 जबकि भारत के पास 5 ऐसे प्लेटफॉर्म हैं.


पाकिस्तान के पास भारत से अधिक पनडुब्बियां व जंगी जहाज?

भारतीय नौसेना के पास INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत जैसे दो विमानवाहक पोत, 20 पनडुब्बियां और 294 जंगी जहाज हैं. वहीं, पाकिस्तान के पास 114 जहाज और 8 पनडुब्बियां हैं. चीन से मिले कुछ टाइप 054ए/पी फ्रिगेट्स से उसकी क्षमता थोड़ी बढ़ी जरूर है, लेकिन समंदर में भारत का वर्चस्व कायम है.


Operation Sindoor में ड्रोन वॉर का खतरा

ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में ड्रोन युद्ध एक नई चुनौती बनकर उभरा है.भारत के पास हेरोन, सर्चर, हारोप और MQ-9 रीपर जैसे घातक UAV हैं. इसके अलावा जैमिंग और लेजर आधारित एंटी-ड्रोन सिस्टम भी तैनात हैं. जबकि, पाकिस्तान ने तुर्की से बायरकतार TB2 और अकिंसी जैसे ड्रोन लिए हैं. अकिंसी की रेंज और मारक क्षमता इसे बेहद खतरनाक बनाती है. शुरूआती हमले में पाकिस्तान ने ड्रोन के झुंड भेजने की तैयारी की थी.


भारत को LOC पर बनाए रखनी चाहिए मजबूत पकड़ 

रिटायर्ड मेजर जनरल एपी सिंह कहते हैं कि भारत को LOC पर मजबूत पकड़ बनाए रखनी चाहिए. यहां भौगोलिक स्थिति मुश्किल है और घुसपैठ महंगी साबित हो सकती है. उन्होंने कहा कि तय लक्ष्यों की लिस्ट तैयार रखनी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर एयरस्ट्राइक और नेवल ब्लॉकेड जैसे विकल्प तेजी से लागू किए जा सकें. जबकि, लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीएस हुड्डा की राय में भारत को पश्चिमी सीमा के अलावा इंटरनेशनल बॉर्डर पर भी कार्रवाई की तैयारी रखनी चाहिए, जहां मैदान खुले हैं और भारत को बढ़त मिलेगी.


बीजिंग नहीं चाहता कि भारत-पाक के बीच हो एटमी जंग

भारत ने इस तनाव के बीच भी ब्रिटेन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साइन किया. अमेरिका और EU से बातचीत जारी है. इससे भारत ने दिखा दिया कि वो वैश्विक मंच पर मजबूत और विश्वसनीय साझेदार है. अमेरिका और यूरोप भारत के साथ खड़े नजर आते हैं, जबकि चीन पाकिस्तान की सीमित मदद कर रहा है. बीजिंग नहीं चाहता कि भारत-पाक संघर्ष एटमी जंग तक जाए, क्योंकि इससे उसकी खुद की रणनीतिक योजनाएं बिगड़ सकती हैं.


क्या बचा भारत-पाक को युद्ध से?

भारत की सैन्य तैयारी, डिप्लोमैटिक समझदारी और वैश्विक समर्थन ने युद्ध टाल दिया. पाकिस्तान की हरकतें अभी भी संदिग्ध हैं, लेकिन भारत की रणनीति साफ है. जिसमें साफ संदेश, संतुलित जवाब और सटीक हमले की तैयारी तय है. हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर एक इशारा था कि हालात कैसे तेजी से बिगड़ सकते हैं. लेकिन भारत की सैन्य शक्ति और कूटनीति की मजबूती ने पाकिस्तान को पीछे हटने को मजबूर किया. आने वाले दिनों में भारत को सतर्क रहना होगा, खासकर ड्रोन युद्ध और सीमित युद्ध की रणनीति को लेकर.


 



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