झारखंड की सियासत में हलचल की खबर तो आपने सुनी ही
होगी. लेकिन अब खराब शिक्षा हालात की भी खबर को भी जान लीजिए. इससे सैकड़ों
अभ्यर्थी परेशान हैं फिर भी कोई हल नहीं निकाला गया है. दरअसल, विश्वविद्यालय
अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसी वर्ष फरवरी में नेशनल लेवल पर आयोजित होने वाली
राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) और जूनियर रिसर्च फैलोशिप (जेआरएफ) का परिणाम
घोषित कर दिया है.
बता दें, यूजीसी के द्वारा आयोजित इस परीक्षा में रांची विश्वविद्यालय और डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के सैंकड़ों छात्र सफल हुए हैं. परंतु, छात्र केवल इस कठिन परीक्षा को पास करने तक ही सीमित नहीं रहते हैं. बल्कि, उन्हें परीक्षा गाइड की खोज करना होता है जो मिलने तक अनवरत जारी रहती है. इसे सबसे मुख्य कार्य भी माना जाता है. वहीं, विद्यार्थी एचओडी, डीन, वाइस चांसलर व शिक्षक के पास जाकर गाइड उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं. अब आप भी सोच सकते हैं यह कितना कारगर हो सकेगा.
बता दें, यूजीसी के द्वारा आयोजित इस परीक्षा में रांची विश्वविद्यालय और डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के सैंकड़ों छात्र सफल हुए हैं. परंतु, छात्र केवल इस कठिन परीक्षा को पास करने तक ही सीमित नहीं रहते हैं. बल्कि, उन्हें परीक्षा गाइड की खोज करना होता है जो मिलने तक अनवरत जारी रहती है. इसे सबसे मुख्य कार्य भी माना जाता है. वहीं, विद्यार्थी एचओडी, डीन, वाइस चांसलर व शिक्षक के पास जाकर गाइड उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं. अब आप भी सोच सकते हैं यह कितना कारगर हो सकेगा.
वहीं, अगर छात्रों की सुनें तो उन्होंने बताया परीक्षा
में कड़ी मेहनत कर सफलता पाई है. हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि इस राज्य में
नेता कहते हैं जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा को ऊपर लाना है. हालांकि, आप भी इसे
केवल भाषणों में ही सुना होगा, यहां की हकीकत कुछ और ही है. दरअसल, परेशानी उठा
रहे 95% छात्रों में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा यानी (टी.आर.एल) के 9 विषयों से परीक्षा में सफल हुए हैं. इस मौके पर सफल अभ्यर्थी सुषमा व सोनू
कुमार समेत 10 अन्य विद्यार्थियों ने बताया पिछले 8 माह से उनका पीएचडी रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका है. जेआरएफ परीक्षा का समय
सीमा होती है. परंतु गाइड के कमी की वजह से वह कोर्स से वंचित हैं.
(इनपुट: प्राची तिवारी)
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